पाकुड़। कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो… दुष्यंत कुमार की पंक्ति को सच कर दिखाया है मो० हेमाजुद्दीन ने।
जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर एक गांव इलामी, जो विभिन्न कारणो ने सुर्खियों में रहा परंतु आज भी वहां की शैक्षिक एवं सामाजिक स्थिति गंभीर है l आज भी गांव की साक्षरता दर 50% से कम है। दो एक अपवाद को छोड़ दे तो यहां पर उच्च शिक्षा वाले और उच्च आय वाले लोगों की तादाद उंगलियों में गिना जा सकता है। ऐसी विपरीत परिस्थिति में भी मोo हेमाजुद्दीन ने कड़ी मेहनत से बीपीएससी (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन) द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होकर उच्च माध्यमिक शिक्षक बनकर गांव का नाम रौशन किया।
बता दें कि इस गांव में पहले एक भी उच्च माध्यमिक स्कूल के शिक्षक नहीं थे। मो हेमाजुद्दीन की इस सफलता पर गांव में खुशी का माहौल है। पिता माजेरूल शेख एक किसान है और माता गृहिणी है। परिवार का निर्वहन खेती बाड़ी, भाइयों के छोटे मोटे काम तथा माताजी की मदद होता है। उन्होंने बताया कि अपनी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही इलामी प्राथमिक विद्यालय से पूरी की तथा हरिणडंगा उच्च विद्यालय से माध्यमिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से करने के बाद राज हाई स्कूल से आईएससी की परीक्षा पास की। इसके बाद केकेएम कॉलेज से केमिस्ट्री ऑनर्स पास किया तथा उसी कॉलेज से 74% अंक के साथ बीएड कि पढ़ाई पूरी की। तत्पश्चात इन्दिरा गांधी खुला विश्वविद्यालय (इग्नु) से राजनीति शास्त्र से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। बीपीएससी (BPSC) द्धारा अगस्त महीने में आयोजित एसटेट (STET) परीक्षा पास करने के बाद अक्टूबर महीने मे “मैंस” परीक्षा में शामिल हुए तथा उसमे सफलता प्राप्त की। इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन तथा चौदह दिनों की ट्रेनिंग के बाद “अपग्रेडेड हाई स्कूल, तलौंधी, संहौला, भागलपुर” में पदस्थापन प्राप्त हुआ।
मो हेमाजुद्दीन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने “रब्ब” को देते हुए बताया कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया पर अपना किमती समय नष्ट न करके यदि धैर्य और एकाग्रता के साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की जाए तो सफलता प्राप्त करना मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि “इस सफर में जिन्होंने भी मुझे प्रेरित की है, मैं उन सब का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं”