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Maqsood Alam
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मुख्यमंत्री अस्पताल संचालन एवं रख-रखाव योजना से व्यवस्था में आएगी चमक, मरीजों को मिलेगी सुविधा

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Gunjan Saha
(Desk Head)

स्वास्थ्य विभाग की ग्राउंड रिपोर्ट

पाकुड़। मुख्यमंत्री अस्पताल संचालन एवं रखरखाव योजना से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में ना सिर्फ चमक आएगी, बल्कि सीधे तौर पर मरीजों को भी इलाज में फायदा होगा। इस योजना के तहत अस्पताल भवन की मरम्मती तथा रंग रोगन, चाहर दिवारी की मरम्मती व रंग रोगन, बिजली व्यवस्था, पेयजल की व्यवस्था, साफ-सफाई, मरीजों एवं उनके परिजनों के बैठने की व्यवस्था, दवा, चिकित्सीय मशीन एवं उपकरण, सोलर लाइट, रेफ्रिजरेटर, उपस्कर, शौचालय की उपलब्धता, अग्निशमन व्यवस्था, वृक्षारोपण व बागवानी सहित अन्य आवश्यक आकस्मिक कार्यों के लिए वरदान साबित होगा। इससे अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार और चमक आएगी। दरअसल झारखंड सरकार के स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने मुख्यमंत्री अस्पताल संचालक एवं रखरखाव योजना शुरू किया है। इस योजना के तहत राज्य के हर जिले के साथ-साथ पाकुड़ जिले को भी राशि उपलब्ध कराई है। इस राशि से सदर अस्पताल सहित प्रखंडों में संचालित स्वास्थ्य केंद्रों के बेहतर संचालन और रखरखाव में खर्च करना है। इस योजना के तहत अस्पताल के सफल संचालन के लिए छोटे-छोटे उपकरणों का प्रयोग किया जाना है। इस निधि से उन्हीं उपकरणों की खरीदारी किया जाएगा, जिनमें एक अदद उपकरण की लागत अस्पतालों को प्रतिवर्ष उपलब्ध कराई जा रही टोटल राशि का 10 फीसदी से कम हो।

अन्य बड़े उपकरणों की खरीदारी अन्य उपलब्ध निधियों से किया जा सकेगा। इस राशि से अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सीय उपकरणों का क्रय किया जा सकेगा। मिली जानकारी के मुताबिक पाकुड़ जिले के स्वास्थ्य विभाग को इस योजना से 3 करोड़ 39 लाख 40,000 रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। इसमें से 2 करोड़ 64 लाख 40,000 रुपए का आवंटन विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों के लिए कर दिया गया है। सदर अस्पताल में इस योजना के तहत उपलब्ध राशि से काम भी शुरू हो चुका है। सिविल सर्जन डॉ मंटू कुमार टेकरीवाल स्वयं नजर बनाए हुए हैं। ताकि राशि का सही उपयोग हो और बदलाव दिखें। सिविल सर्जन का कहना है कि कार्य की गुणवत्ता पर विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा हैं। ताकि सरकार और विभाग का मकसद पूरा हो और मरीजों को इसका लाभ मिले। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में अपर मुख्य सचिव ने हर जिले को एक राशि दी है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया में काम में रुकावटें आ जाती है। इसलिए सीधे तौर पर अस्पतालों को राशि उपलब्ध कराई गई है। इससे अस्पताल के जो छोटे-छोटे काम है, उसे निरंतर करते जाना है। एमओआईसी उपाधीक्षक अपने स्तर से सरकारी नियम के तहत राशि खर्च कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि छोटे राशि हैं, जो पंद्रह हजार से कम होते हैं, उसे वाउचर के माध्यम से खर्च कर सकते हैं। इससे बड़े राशि जो डेढ़ लाख के कोटेशन की राशि है, टेंडर के माध्यम से खर्च कर सकते हैं। इस तरह की राशि जो टेंडर के जरिए खर्च होते हैं, वह ऑटोमेटिक कोटेशन में चले जाते हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग के किसी भी पदाधिकारी का हस्तक्षेप नहीं होती है। इसमें सरकार की बंदिश है कि काम जब भी होगा, बाहर की एजेंसी के माध्यम से होगा। इससे बड़े राशि के जो काम होंगे, वह भी टेंडर के जरिए होंगे। इसमें ऑफलाइन या ऑनलाइन टेंडर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकुड़ जिले को 3 करोड़ 39 लाख 40000 रुपए दी गई है। जिसमें 2 करोड़ 64 लाख 40000 रुपए हर प्रखंड को अलग-अलग देने का निर्देश प्राप्त है। किस प्रखंड को कितना देना है, वो राज्य स्तर से ही निर्धारित होकर आया है। पाकुड़ जिले के छह प्रखंड हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़िया, अमड़ापाड़ा, महेशपुर और सदर पाकुड़ प्रखंड को मिलकर 2 करोड़ 64 लाख 40000 की राशि दी गई है। सदर अस्पताल में 75 लाख रुपए खर्च कर डीएस के द्वारा काम कराया जाना है। सदर अस्पताल में सौंदर्यीकरण सहित अन्य जरूरी कार्यों को करना है। उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल की पहले जो स्थिति थी, अब उसमें बदलाव दिखेगा। अस्पताल का जो मेन गेट हैं, डीसी साहब के निर्देश पर उसे बदल गया है। इसके अलावा टाइल्स लगाने, टूटी खिड़कियों को बदलने, बागवानी जैसे बहुत सारे काम हुए हैं और हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जितने भी कार्य हो रहे हैं, वह अस्पताल प्रबंधन समिति की बैठक में निर्णय के मुताबिक ही हो रहा है। सदर अस्पताल प्रबंधन के जो चेयरमैन है, वह जिला परिषद की अध्यक्ष है, उसमें बहुत सारे मेंबर भी होते हैं। उनके छत्रछाया में बैठक हुई और बैठक में सारा निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि सारे कार्य बहुत ही तीव्र गति से किया जा रहा हैं। मेरा एक ही मकसद है कि सरकार का उद्देश्य पूरा हो और मरीजों को उसका लाभ मिले।

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