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Maqsood Alam
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पंचतत्व में विलीन हो गए प्रवीण सिंह उर्फ राजू दा,चाहने वाले फफक कर रो पड़े

अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़, रिश्तेदार,राजनेता और मीडिया कर्मी भी पहुंचे

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Gunjan Saha
(Desk Head)

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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़ -प्रवीण सिंह उर्फ राजू दा पंचतत्व में विलीन हो गए। पश्चिम बंगाल के धुलियान श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुत्र सिद्धार्थ ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में परिजन, रिश्तेदार और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी शामिल हुए। उनका पार्थिव शरीर कोलकाता से आवास पहुंचते ही पूरा राजबाड़ी सहित शहर गमगीन हो गया। अंतिम दर्शन के लिए शनिवार सुबह से ही लोगों की भीड़ जमा हो गई। प्रवीण सिंह उर्फ राजू दा के चाहने वाले शहर ही नहीं, ग्रामीण इलाकों से भी पहुंचे थे।भारतीय जनता पार्टी के लिए लंबे समय से जिला सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर के रूप में जिम्मेदारी संभाल चुके राजू दा के अंतिम दर्शन के लिए जिले भर से पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। महिला आयोग की सदस्य ममता कुमारी, भाजपा के वरिष्ठ नेता अनुग्रहित प्रसाद साह,विवेकानंद तिवारी,हिसाबी राय,बाबूधन मुर्मू,दानियल किस्कू,दुर्गा मरांडी,तुहिन शुक्ला, पंकज कुमार साह सहित अन्य लोगों ने उनका अंतिम दर्शन किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष श्याम यादव भी पहुंचे और अंतिम दर्शन किया।जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव वीरेंद्र पाठक,उपाध्यक्ष प्रणय तिवारी भी पहुंचे थे। मीडिया कर्मियों ने भी उनका अंतिम दर्शन किया। दांपत्य जीवन में हर सुख दुःख में साथ खड़ी रही धर्मपत्नी मीरा पांडेय पति के बिछड़ने से टूट चुकी थी। अंतिम संस्कार के लिए जब पार्थिव शरीर को ले जाया जा रहा था,मायूसी भरी नजरों से अंतिम क्षण तक निहारती रही। आंखों में आंसू लिए राजू दा की अर्थी को देखती रही। परिजन, रिश्तेदार और वहां मौजूद लोग उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि प्रवीण सिंह उर्फ राजू दा का समाजसेवा में गहरी रुचि थी। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। कोरोना काल में जब लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे, उस दौरान भी प्रवीण सिंह जरुरतमंदों के पास आर्थिक मदद और राहत सामग्री लेकर पहुंच रहे थे। इतना ही नहीं कोरोना वायरस से बचने के लिए सैनिटाइजर और मास्क घर-घर जाकर पहुंचाने का काम किया। मीरा फाउंडेशन के तहत भी पत्नी मीरा पांडेय संग हजारों लोगों को मदद पहुंचाया। इसके अलावा अपने स्तर से मरीजों को खून उपलब्ध कराने में अहम योगदान रहा है। प्रवीण सिंह उर्फ राजू दा में एक खूबी यह भी था कि अगर वे जरूरतमंद तक नहीं पहुंच पाए, तो किसी न किसी जरिए मदद पहुंचा ही देते थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रवीण सिंह का निधन पाकुड़ के लिए बड़ी क्षति है। लोग उनके मिलनसार स्वभाव और समाजसेवा को हमेशा याद रखेंगे।कुल मिलाकर राजू दा मजहब और जाति से उठकर पाकुड जिला ही नहीं दूसरे जिले के गरीब और जरूरत मंदो को मदद किया करते थे.

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