अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। मदर्स डे के खास मौके पर बेटे के तोहफे ने एक मां की आंखों में खुशी के आंसू ला दिए। एमबीबीएस की डिग्री हाथों में लिए बेटे की तस्वीर देखते ही मां की आंखों से आंसू छलकने लगे। आंगनबाड़ी में सेविका की मामूली नौकरी में रहते हुए बेटे को डॉक्टर बनाने का सपना पूरा हुआ। दुनिया के हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे उनसे भी आगे बढ़े। आज वो सपना पूरा हो गया और ऐसे मौकों पर एक मां के लिए खुशी के आंसू को रोक पाना मुश्किल था। जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर बंगाल सीमा से बिल्कुल सटा पाकुड़ के एक छोटे से गांव इस्लामपुर के एक साधारण परिवार से आने वाले बेटे ने डॉक्टर बनकर ना सिर्फ खुद का, बल्कि मां के सपनों को भी साकार कर दिखाया है। आंगनबाड़ी सेविका के पद पर कार्यरत मां सायरा बानो को बेटे पर गर्व महसूस हो रहा था। पिता रफीकुल इस्लाम के लिए भी यह बहुत बड़ी खुशखबरी थी। मां सायरा बानो ने कहा कि बेटे के नाम के आगे अब डॉक्टर लिखा जाएगा, यह वो खुशी है, जिसे वह कभी भूला नहीं सकती। उन्होंने कहा कि मसिउर हसन उर्फ रॉनी और तनवीर हसन उनके दो बेटे हैं। तनवीर हसन यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ा बेटा मसिउर हसन ने एनआरएस कोलकाता से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। मासिउर ने साल 2018 में नीट क्वालीफाई किया था। ऑल इंडिया 6,400 और पश्चिम बंगाल में 224 वां रैंक हासिल किया था। प्रारंभिक पढ़ाई आइडियल ब्लू बर्ड्स इंग्लिश स्कूल से हुई थी। उन्होंने बताया कि हयातन रहमानिया मिशन स्कूल से मैट्रिक किया था। वहीं हायर सेकेंडरी की पढ़ाई अल अमीन मिशन तापरा (नदिया) से पूरा किया।इसके बाद साल 2018 में नीट क्वालीफाई किया। जिसमें सफलता के बाद एनआरएस कोलकाता से एमबीबीएस की डिग्री हासिल किया। उन्होंने बताया कि मसिउर को बचपन से ही डॉक्टर बनने का शौक था। आज बेटे को डॉक्टर बनता देख मैं काफी खुश हूं। इधर डॉक्टर मसिउर हसन ने कहा कि मां-बाप के सपनों को साकार कर पाना शायद हर बेटे को नसीब नहीं होता है। मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे यह अवसर मिला। मैं अल्लाह ताला का शुक्रगुजार हूं।