पाकुड़ । जिंदगी भी कितनी अजीब है। एक तरफ कहती है सब्र का फल मीठा होता है और दूसरी तरफ कहती है वक्त किसी का इंतजार नहीं करता।
सदर प्रखंड के तारानगर पंचायत के अनुपानगर के रहने वाले 27 वर्षीय रिजाउल शेख को तीन-तीन बेटियों के बाद अब बेटे की ख्वाहिश थी। घर में तीन बेटियों की किलकारियों से वह काफी खुश था। रिजाउल को खुशी के इस आंगन में एक बेटा का भी बेसब्री से इंतजार था। इस इंतजार के बीच शायद उन्हें इस बात का जरा सा भी एहसास नहीं रहा होगा कि उसकी ख्वाहिश तो पूरी होगी, लेकिन बेटे का चेहरा देखना भी नसीब नहीं होगा।
जी हां, जिंदगी ने रिजाउल के साथ ऐसा धोखा किया, जिसे सुनकर किसी को भी आश्चर्य लगेगा। आश्चर्य ही नहीं, रिजाउल के साथ हुई घटना किसी को भी झकझोर देगा। रिजाउल का इंतजार तो खत्म हुआ, उनकी पत्नी ने एक बेटे को जन्म भी दिया। लेकिन बेटे के जन्म के 10 घंटे पहले ही रिजाउल की जिंदगी भी खत्म हो गई।
एक तरफ हादसे में रिजाउल की मौत और दूसरी तरफ अस्पताल में बेटे का जन्म। घड़ी के कांटे शायद एक ही साथ पिता पुत्र के मौत और जन्म की गाथा लिख रही थी।
दरअसल रिजाउल पेशे से डंपर चालक था। अमड़ापाड़ा कोल माइंस में शुक्रवार-शनिवार की रात करीब 2:00 बजे कोयला लोड करने जा रहा था। इसी दौरान बिजली तार के चपेट में आ गया। जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक उसे आनन-फानन में सोनाजोड़ी सदर अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में रिजाउल का शव पोस्टमार्टम के लिए रखा गया। इधर सुबह रिजाउल के शव का पोस्टमार्टम चल रहा था। उधर घर में प्रसव पीड़ा उठने पर पत्नी शबाना बीवी को सदर अस्पताल में ही लाया गया। एक तरफ पति का शव पड़ा था, तो दूसरी तरफ पत्नी बेटे को जन्म दे रही थी।
दोपहर करीब 12:00 बजे रिजाउल की पत्नी शबाना ने बेटा को जन्म दिया। यह शबाना के लिए जिंदगी का सबसे कठिन पल था। पति को बेटे के जन्म की खुशी की खबर देने की घड़ी तो आई, लेकिन खुशखबरी सुनने वाले ही दुनिया में नहीं रहे। अक्सर पति पत्नी में बेटे की इच्छा पूरी होने की बातों को लेकर दोनों में हंसी ठिठोली भी खूब होती थी। लेकिन जिंदगी ने ऐसा मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया, जहां खुशी के साथ मातम भी थी।
पत्नी शबाना बीवी को पति रिजाउल के दुर्घटना में मौत की खबर मिल चुकी थी। लेकिन बेटे के जन्म के दौरान बेहोशी की वजह से अंतिम बार पति का चेहरा देखना भी नसीब नहीं हो रहा था। होश में आने के बाद वह खामोश निगाहों से सिर्फ बेटे को निहार रही थी।
एक पत्नी और एक मां के रूप में उस वक्त शबाना के दिलों दिमाग में क्या चल रहा होगा, इसे सिर्फ वही समझ सकती थी। तीनों बेटियां आठ साल की नसरीना खातून, छह साल की उर्मिला खातून और चार साल की जसमीरा खातून उदास चेहरे से कभी अस्पताल में वार्ड में भर्ती मां के पास जाती, तो कभी पोस्टमार्टम रूम में पिता को देख रही होती। इधर एक और दुखद बात यह था कि दुर्घटना में मरने वाले रिजाउल की खबर ना तो वाहन मालिक ने ली और ना ही कोल माइंस से जुड़े अधिकारियों ने ही लिया। आहत होकर परिजनों ने कोलाजोड़ा गांव के पास रिजाउल के शव को लेकर सड़क जाम कर दिया। घंटों बीतने पर भी कोई नहीं पहुंचा। वहीं समाचार प्रेषण तक सड़क जाम जारी था।