पाकुड़ । जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर गंधाईपुर पंचायत के झुमकी टोला में रविवार की दोपहर 3:00 बजे तक खुशहाली थी। पवित्र माहे रमजान में लोग इबादत के साथ-साथ अपने काम में मशगूल थे।
अचानक ही 3:15 बजे के आसपास एक छोटी सी आग की चिंगारी ने मोहल्ले के लगभग 50 परिवारों को चंद घंटों में तबाह कर दिया। ये गरीब और मजदूर परिवार देखते ही देखते बेघर हो गए। अग्निकांड में सबकुछ बर्बाद हो गया। नगद रुपए, आभुषण, फर्नीचर, कपड़े, अनाज, बर्तन कुछ भी नहीं बचा। आंखों के सामने सबकुछ जलकर राख हो गया। अपने खून पसीने की कमाई से बनाए आशियाने आग के जद आकर बर्बाद हो गए। आग में जल कर बेटियों को विदा करने के लिए रखे गहने नष्ट हो गए। अग्नि पीड़ितों के सर से छांव छीन गया। घटना के 24 घंटे बाद भी पीड़ित परिवारों को राहत नहीं है। पीड़ितों का ना सिर्फ आशियाना उजड़ गया, बल्कि अब पेट के लाले भी पड़ने लगे है। घटना से बेघर हुए पीड़ित परिवारों के पास अब ना तो रहने के लिए घर बचा है, ना ही खाने के लिए अनाज और ना पहनने सोने के लिए कपड़े बचें हैं। अपने बच्चों की परवरिश की चिंता सताने लगी है। पीड़ित परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और दिन रात गम में डूबे हैं। इस वक्त उन पर क्या गुजर रही है, वहीं समझ सकते हैं।
अपने आपको तो ढांढस बंधा सकती है, लेकिन उन मासूम बच्चों को कौन समझाए कि किस्मत ने उनके साथ कैसा खेल खेला है। बच्चों के आंखों से बहते आंसू, तपती धूप में नंगे पैर और बिना छांव के खुले आसमान में बच्चों की हालत को सिर्फ महसूस करना ही मां-बाप की मजबूरी बन गई है। पीड़ित परिवारों की रातें जहां खुले आसमान में बीत रही है, वहीं 40 डिग्री तापमान में कड़ी धूप का सामना करते परिवारों की दिन भी मुश्किलों से गुजर रहा है।
नाकाफी है मदद, स्थाई समाधान की जरूरत
अग्नि पीड़ित परिवारों को नेता और अधिकारियों की टीम पहुंचकर ढांढस बंधा रही है। तत्काल खाने पीने के लिए अनाज मुहैया भी कराया जा रहा है। नेताओं की ओर से अनाज व कपड़े, पंचायत की ओर से कंबल भी दिया गया है। लेकिन यह उनके लिए नाकाफी है। पीड़ित परिवारों को स्थाई रूप से मदद की जरूरत है, स्थाई समाधान की जरूरत है। यहां ज्यादातर लोगों के पास रहने लायक घर नहीं है। पीड़ित परिवारों को सरकारी आवास दिलाने की जरूरत है। वहीं तत्काल हर परिवार को मजबूत तिरपल की जरूरत है। ताकि तिरपल टांग कर रात गुजार सके।
वहीं नगद राशि की भी आवश्यकता है। ताकि जरूरत की चीजें खरीद सके। परिवारों के बीच सब्जी या तेल मसाले खरीदने के भी पैसे नहीं है। अनाज की बात करें तो 5-10 किलो अनाज काफी नहीं है। इस पर भी प्रशासन और नेताओं को विचार करना चाहिए। घर में चूल्हा जलाने की भी व्यवस्था नहीं है। इस पर भी सोच विचार करते हुए तत्काल सुविधा मुहैया कराने की जरूरत है।
क्या कहते हैं सीओ
सीओ आलोक वरण केसरी ने कहा कि घटनास्थल पर जाकर जायजा लिया गया है। पीड़ित परिवारों को हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। परिवारों को सरकारी प्रावधान के मुताबिक उचित मुआवजा मिलेगा। तत्काल अनाज और कंबल दिया गया है।