समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़-इंसानियत फाउंडेशन लगातार शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रक्तदान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं।जाति और मजहब से उठकर एक दूसरे मो रक्तदान कर रहे हैं।इंसान और इंसानियत बचाने के लिए अब पुलिस पदाधिकारी भी सामने आ रहे हैं।इसी कड़ी में इंसानियत फाउंडेशन के माध्यम से मुफ्फसिल थाना प्रभारी सतीश कुमार को सूचना मिली कि एक बारह वर्षीय थैलीसीमिया पीड़ित मुसलेमा खातून को खून की जरूरत है।अगर समय पर खून उपलब्ध नही कराया गया तो बच्ची का जान का खतरा हो सकता है।सतीश कुमार तुरंत ब्लड बैंक पहुंचकर रक्तदान किया।सतीश कुमार ने बताया कि रक्तदान महादान कहलाता है क्योंकि हमारा रक्त मुसीबत में किसी के काम आता है और हम एक अनजान से खून का रिश्ता बना लेते हैं।वे कहतें है
अमूमन लोगों में यह भ्रांति रहती है कि रक्तदान की वजह से शारीरिक कमजोरी आती है.हालांकि इस बात में सच्चाई नहीं है.रक्तदान करने से किसी प्रकार की कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती बल्कि रक्तदाता का मानसिक विकास होता है.
एक यूनिट खून बचा सकता है तीन लोगों की जान—-
कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति दूसरे की जान बचाने के लिए रक्तदान कर सकता है।18 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं।कोई भी व्यक्ति जिसका वजन 45 किलो से ऊपर हो,वह आसानी से रक्तदान कर सकता है।एक यूनिट रक्त कम से कम तीन लोगों की जान बचाने के लिए सहायक सिद्ध होता है।