समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर साल 18 दिसंबर को भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मनाया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रत्येक राष्ट्र में अलग-अलग जातीय, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक समूह होते हैं। भारत का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और भाषाई, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई उपाय अपनाता है। यह उन लोगों का भी ख्याल रखता है जो अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोगों सहित उनकी जाति, संस्कृति और समुदाय के बावजूद आर्थिक या सामाजिक रूप से वंचित लोग हैं। अल्पसंख्यकों के वर्तमान हालातों पर राजनीतिक दलों के अल्पसंख्यक नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। पेश है उनके प्रतिक्रियाओं के खाश अंश….
डॉ. मिसफिका हसन (भाजपा अल्पसंख्यक राष्ट्रीय मंत्री)– केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने 9 साल के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के विकास को खास तवज्जो दी है। सरकार ने जातिगत नहीं, बल्कि सबका साथ सबका विकास नारे के अनुरूप गरीब अल्पसंख्यकों के विकास का आधार बनाया है। सरकार ने खास कर बालिका शिक्षा और नौजवानों के स्किल डेवलेपमेंट (कौशल विकास) पर जोर रखा है। भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिये विभिन्न योजनाएं जैसे शैक्षिक सशक्तीकरण योजनाएं, प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, बेगम हजरत महल स्कॉलरशिप आदि शुरू किए हैं।
इस समय 10 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के लोग केंद्रीय नौकरियों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। तीन तलाक पर कानून बनाने के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए मोदी सरकार का नया तोहफा मिला है। नई हज नीति के तहत मुस्लिम महिलाएं बिना किसी मेहरम (जिसके साथ खून का रिश्ता हो) के भी हज यात्रा कर सकेंगी। पुरुषों के बराबर समान अधिकार मिले, समान अवसर मिले। ताकि वे भी प्रगति के मार्ग पर एक साथ आगे बढ़ सकें। यही मोदी सरकार का नारा है।
शाहीन परवेज (कांग्रेस अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष)– भारत में अल्पसंख्यक समुदाय की आर्थिक, शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य से संबंधित बद से बदतर हालत की जानकारी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने रिटाइड जस्टिस सच्चर और रघुराजन कमिटी गठन कर इसकी जानकारी प्राप्त की। उसके बाद ही कांग्रेस की सरकार ने अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए 15 वीं वित्त आयोग गठन कर कार्य आरंभ किया। एमएसडीपी के अंतर्गत कार्य किया जा रहा था। इसमें लोगों को कुछ राहत मिल रही थी। परंतु जैसे ही केंद्र में 2014 में भाजपा की सरकार बनी, तबसे अल्पसंख्यकों के लिए उत्थान का कार्य बंद कर दी गई।आज देखा जाए तो केंद्र से अल्पसंख्यकों का लाभ मिलना बंद कर दिया गया। भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव कर रही है। भाजपा सरकार का एक जुमला है सबका साथ सबका विकास। वक्फ बोर्ड का पुनः गठन कर कार्य करना चाहिए। परंतु भाजपा सरकार नहीं चाहती है। भारत की संविधान में जो अधिकार अल्पसंख्यकों को दे रखी है, उससे ये भाजपा सरकार संविधान को परिवर्तन कर वंचित करने का प्रयास कर रही है। देश का संविधान जो अधिकार अल्पसंख्यकों को दे रखी है, उसे हासिल करने हेतू आंदोलन किया जाएगा।
हबिबुर रहमान (झामुमो अल्पसंख्यक जिलाध्यक्ष)– देश के संविधान में अल्पसंख्यकों के लिए जो अधिकार दिया गया है, केंद्र सरकार ने अधिकारों से अल्पसंख्यक समाज को वंचित कर रखा है। सिर्फ दिखावा के लिए अल्पसंख्यकों के नाम से कानून और योजनाएं लाई जा रही है। केंद्र सरकार के द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे भेदभाव किसी से भी छुपा नहीं है। झारखंड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के अल्पसंख्यक समाज को आगे बढ़ाने के लिए हर तरह के कदम उठा रहे हैं। अल्पसंख्यक समाज राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। महज तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अल्पसंख्यक समाज के लिए काफी काम किया है।

