समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। सीपीआई (एम) की पोलितब्यूरो मेंबर बृंदा करात ने बुधवार को संसद भवन की सुरक्षा मामले में विपक्ष के सांसदों के निलंबन पर भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संसद के अंदर जो घटनाएं घटी, इसके लिए बीजेपी खुद जिम्मेदार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संसद में इस मामले पर बात रखनी चाहिए। इसके उलट नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि संसद की सुरक्षा में सेंध मारी पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। जब विपक्ष के सांसदों ने आवाज उठाई तो सांसदों को निलंबित किया जाने लगा। अब तक 142 सांसद निलंबित हो चुके हैं और यह संख्या बढ़ती दिख रही है। आखिर नरेंद्र मोदी और अमित शाह देशवासियों को क्या संदेश देना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ा रही है। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आवाज उठाने वाले 142 या इससे भी ज्यादा सांसदों को निलंबित किया जा रहा है। यह देश की संसदीय प्रणाली पर हमला है। इसमें सोचने वाली बात है कि संसद के अंदर जिस तरह घुसपैठ हुई, अगर उसके इरादे कुछ और होते तो क्या होता। यह उस दिन हो रहा है, जिस दिन संसद में आतंकी हमले के उसे दिवस को याद किया जा रहा है। बृंदा करात ने कहा कि 22 दिसंबर को देशभर में इंडिया गठबंधन के आह्वान पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। मैं कहूंगी कि हर देश भक्त देशवासियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस विरोध में शामिल हो।
राज्यपाल की भूमिका पर उठाया सवाल
पोलितब्यूरो मेंबर बृंदा करात ने कहा कि झारखंड में राज्यपाल की भूमिका नकारात्मक है। केंद्र सरकार राज्यपाल के पद का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि जहां-जहां बीजेपी की सरकार नहीं है, अगर झारखंड में हम हेमंत सोरेन सरकार की बात करें तो एक तरफ बीजेपी की केंद्र सरकार अधिकारों पर हमला कर रही हैं और यहां भी गवर्नर का जो रोल है, वो नकारात्मक है। क्योंकि आज देश भर में जहां कहीं भी गैर बीजेपी शासित राज्य है, वहां की सरकार के काम धाम को रोकने के लिए राज्यपाल के पद को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। तमिलनाडु सरकार और केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की और गवर्नर को कहा कि अपने दायरे में रहकर राज्य सरकार के साथ तालमेल कीजिए। उन्होंने कहा कि झारखंड में भी यही हाल है। इन कुछ मुद्दों पर झारखंड के उस संघर्ष के हम साथ हैं, जहां वो बिल पास करते हैं और गवर्नर उसको रोकते हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कमियों को भी रखा
पोलितब्यूरो मेंबर बृंदा करात ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कुछ कमियों को रखा। उन्होंने कहा कि हमने संथाल परगना और विशेष कर राजमहल में आकर देखा कि यहां काफी कमियां है। मिसाल के तौर पर यहां बड़े पैमाने पर शेरशाहवादी मुस्लिम है। उनकी सर्टिफिकेट नहीं बनाई जा रही है, क्यों, क्या वह देश के नागरिक नहीं है। दूसरा मुद्दा जमीन का है जो सौ साल से रह रहे हैं, उनके पास वो कागजात हैं। इसके बाद 2004 और 2008 तक लैंड टैक्स दिया है। सरकारी पर्चा उनके पास है। लेकिन आज अचानक टैक्स लेना बंद कर दिया। ऑनलाइन के नाम पर प्लॉट का सर्वे होना चाहिए, सर्वे भी नहीं हो रहा है। उनको धमकी दी जा रही है कि यह जमीन तुम्हारी जमीन नहीं है, यह सरकारी जमीन है। यह जो अनिश्चितता बन जाता है, लोगों की जिंदगी में, यह हेमंत सोरेन सरकार की और विशेष कर यहां के एमपी, जो झामुमो से राजमहल के एमपी हैं, उनकी इसमें भारी कमी रही है। उन्होंने कहा कि यहां के जो मंत्री हैं, पाकुड़ की हालत जो देखे, वह देखकर लगा कि जो जिम्मेदारी उन्हें लेना चाहिए था, जनता के साथ मिलकर उनकी समस्याओं का हल करना चाहिए था, वह नहीं हुआ।
एजुकेशन सिस्टम ठीक नहीं
उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षक हमसे आकर मिले और कहा कि हमारा काम पढ़ाना है। लेकिन यहां हमें इतनी प्रशासनिक काम दे दिया गया है कि ना शिक्षक पढ़ा पा रहे हैं और ना बच्चें पढ़ पा रहे हैं। बच्चों को साइकिल क्यों नहीं मिल रहा है, कोई स्कूल नहीं आ रहा है तो उन्हें स्कूल के बच्चों को भेज कर लाया जाए। इससे पढ़ाई प्रभावित हो रहा है। यहां एजुकेशन सिस्टम बहुत ही खराब है।
अडानी पावर प्लांट में गंगा का पानी पहुंचाने को ले बीजेपी पर उठाया सवाल
अडानी के पावर प्लांट में गंगा का पानी पहुंचाने को लेकर भी बृंदा करात ने बीजेपी के मंसूबे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मुझे मालूम चला है कि गोड्डा में जो पावर प्लांट बना हैं, वहां ग्राउंड वाटर के लिए पानी नहीं मिल रहा है। गंगा से पाइप लगाकर साहिबगंज से पावर प्लांट में पानी पहुंचाया जा रहा है। वहां पानी की इतनी कमी है, वहां वैसे भी गंगा सूख रही है और वहां से पानी अडानी के प्लांट में पहुंचा रहे हैं। यह क्या नमामि गंगे का प्रोग्राम है। आप गंगा की सफाई की बात कर रहे हैं, गंगा की पूजा करते हैं और वहां गंगा का पूरा पानी अडानी के प्लांट में पहुंचा रहे हैं। किसानों से लोगों से छीन कर पानी वहां ले जा रहे हैं।