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Maqsood Alam
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दुनिया से जाते जाते बहादुर मां ने पेश की ममता का मिसाल, बचाई बच्ची की जान

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Gunjan Saha
(Desk Head)
अबुल काशिम@समाचार चक्र

पाकुड़-दुनिया की हर चीज बिक सकती है, पर मां की ममता नहीं। मां सिर्फ जन्म नहीं देती, मां जीवन भी देती है।

केकेडीएम हाई स्कूल के पास दुर्घटना की शिकार एक बहादुर मां ने उक्त पंक्तियों को दोहरा दिया। दुनिया से जाते जाते बच्ची की जान बचाकर ममता का अनोखा मिसाल पेश किया।

मां मासेदा बीवी उर्फ हिना बीवी अब इस दुनिया में नहीं रही। लेकिन एक साल की मासूम बच्ची की जान बचाने में कामयाब उस मां की ममता हमेशा याद रहेगी। लोग उस मां की बहादुरी का मिसाल देंगे। किस तरह हिना बीवी ने मौत को सामने देख बच्ची को गोद से दूर सुरक्षित फेंक दिया। अन्यथा मां के साथ बच्ची की भी जान जा सकती थी।

गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे का वक्त था। हिना बीवी अपनी एक साल की बच्ची को गोद में लेकर भाई के बाईक में बैठकर मायके से निकली थी। लखनपुर गांव स्थित मायके से महज एक किलोमीटर दूर झिकरहटी गांव बहन की बेटी की शादी में शामिल होना था। अगला पंद्रह मिनट ही उसकी जिंदगी का आखिरी समय था।

इस बात से अनजान हिना हंसते हंसते बहन के घर के लिए निकली थी। उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी। शादी समारोह में शामिल होने बच्ची को गोद में लिए हंसी चेहरे से बाइक पर सवार हुई। मंजिल बेहद करीब था, शादी घर पहुंचने ही वाली थी। तभी अचानक बाइक बंद हो जाती है।

बाइक चला रहा भाई उसे उतरने को कहता है। हिना बीवी बच्ची को गोद में लेकर बाइक से उतरती है। बाइक में पेट्रोल खत्म हो चुका होता है। हिना बीवी को वहीं खड़ा कर पास में ही बोतलबंद पेट्रोल लेने चला जाता है। इसी बीच स्टोन डस्ट लदा ट्रैक्टर मौत बनकर आती है। हिना बीवी ट्रैक्टर की रफ्तार और दिशा देखकर घबरा जाती है। तेज गति से ट्रैक्टर उसी की तरफ आ रही थी। जब तक कुछ समझ पाती, तब तक ट्रैक्टर उसे चपेट में ले लेती है। इसी बीच अपनी मौत को सामने देख हिना बीवी बच्ची को गोद से दूर फेंक देती है। एक सेकंड की चूक से बच्ची की भी जान जा सकती थी।

आखिर मां तो मां होती है। एक मां ही है जो बिन कहे बच्चों की परेशानी को भांप लेती है। यहां भी वही हुआ और हिना बीवी ने अपने साथ-साथ बच्ची के साथ होने वाली परेशानी को भी भांप लिया। अपनी जान की परवाह किए बिना बच्ची को बचा लिया। एक बहादुर मां के लिए दो टूक… मेरी तकदीर में एक भी गम न होता, अगर तकदीर लिखने का हक मेरी मां को होता।

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