ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। दुर्गा पूजा सनातन धर्म के अनुयायियों का एक महान पर्व है। जब दुर्गा का पूजन-वंदन शुरू होता है तब इनका निवास धरती लोक पर मनुष्यों के बीच होता है। मां दुर्गतिनाशिनी हैं। मोक्ष दायिनी मां दुर्गा अधर्म पर धर्म , असत्य पर सत्य और अंधकार व अज्ञानता रूपी राक्षसी शक्तियों से रक्षा करने वाली ममतामयी और कल्याणकारिणी हैं। शांति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली आसुरी शक्तियों से मानवता की रक्षा करती हैं देवी दुर्गा। दुर्गा शब्द का अर्थ ही अभेद्य और अजेय है। महिषासुर के कहर से परेशान देवताओं ने जब एक दिव्य शक्ति का आह्वान किया तब दुर्गा का प्राकट्य हुआ। महिषासुर से नौ दिनों तक देवी का युद्ध हुआ दसवें दिन इस असुर का वध हुआ। इसलिए दसवें दिन दुर्गोत्सव मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दौरान मुख्यतः माता की नौ स्वरूपों या शक्तियों की आराधना होती है। शास्त्रों में हर एक शक्ति का अपना विशिष्ट महत्व है। ऐसे में दुर्गा पूजा को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। आइए इनके अलग-अलग नौ स्वरूपों के महत्व को जानें ।
शैलपुत्री है मां का पहला रूप
शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। धार्मिक मान्यता है कि शक्ति व उपासना के इस महापर्व के पहले दिन इनके दर्शन और पूजन से जीवन की हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं। मां कायह रूप सौम्यता , करुणा और धैर्य का प्रतीक है।
ब्रह्मचारिणी है दूसरा स्वरूप
मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या किया था इसलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। दूसरे दिन इसी स्वरूप की पूजा होती है। ये भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। ये ज्ञान और विद्या की देवी हैं।
चंद्रघंटा है तीसरा स्वरूप
इनकी आराधना से साधक के समस्त कष्ट और बाधा नष्ट हो जाते हैं। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी होता है।
कूष्मांडा है देवी का चौथा रूप
इनके अंदर सृजन की शक्ति होती है। इनके मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि रचित हुई थी। इसलिए इन्हें आदि शक्ति माना गया है। कूष्मांडा की पूजा से व्यक्ति दीर्घ जीवन पाता है।
स्कंदमाता है पंचम स्वरूप
इनकी उपासना से भक्तों को संतान , धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ये मातृत्व और शक्ति का प्रतीक हैं।
कात्यायनी है माता का छठा स्वरूप
नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा होती है। ये भक्तों को मोक्ष, धर्म और अर्थ देती हैं। इन्हें ब्रह्मा का मानस पुत्री कहा गया है।
कालरात्रि सप्तम स्वरूप
ये मां के नौ अवतारों में बहुत ही क्रोधी देवी मानी गई हैं। ये पापियों का संहार करती हैं। कालरात्रि को अंधकार की देवी भी कहा जाता है। इनकी उपासना से साधक को जीवन के सभी भय से मुक्ति मिलती है।
महागौरी है मां का अष्टम स्वरूप
नौ रूपों में महागौरी पूजन का विशेष महत्व है। ये कठिन समस्याओं का निदान भी करती हैं। इनकी पूजा से साधक को सुख , शांति, यश , वैभव और मां-सम्मान प्राप्त होता है।
सिद्धिदात्री माता का नवम स्वरूप है
सभी सिद्धियों को देती हैं मां सिद्धिदात्री। इनका रूप अत्यंत समय है। ये अपने भक्तों पर स्नेह और कृपा बरसाती हैं। ये भक्तों को अलौकिक शक्ति, ध्यान और क्षमता प्रदान करती हैं।