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ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। सामुदायिक हित के लिए अपनी जान को जोखिम में डालने वाले शख्स और आठ घंटों तक अनवरत कोशिश व अपने पारंपरिक युक्तियों से जानलेवा कूप से उस शख्स को सुरक्षित निकाल लेने वाले साहसी युवक सम्मान के योग्य हैं। उन्हें पुरष्कृत किया जाना चाहिए। यहां पंचायत जड़ाकी के उदलबनी गांव अंतर्गत ताला टोला के युवा लुकस किस्कू की बात की जा रही है। इस युवक ने पहली जून-रविवार को पेयजल का एक मात्र प्रमुख स्रोत गांव के ही जर्जर व जानलेवा सार्वजनिक कूप की सफाई की हिम्मत की थी। कूप में उतर कर जब वह जमी हुई गंदगी व मिट्टी को निकाल रहा था तभी कूएँ का धसना गिरा और वह आठ घंटों तक उसी में फंसा रह गया। कूएँ के अंदर अनहोनी की प्रबल संभावना थी किन्तु, इस दौरान लुकस ने धैर्य नहीं खोया। हिम्मते मर्द और मददे खुदा की उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया। अंततः ग्रामीण युवकों के अथक प्रयास और अदम्य साहस ने उसे कूएँ से सुरक्षित निकाल लिया। यह किसी दैवी चमत्कार से कम नहीं था। हालांकि घटना के चार दिन गुजर गए हैं। वह अब भी उस घटना की स्मृति से उबर नहीं पाया है और घर पर आराम कर रहा है। जब उसके घर पर जाकर इस संवाददाता ने उससे बात की गई तो उसने अपनी आपबीती सुनाई। कहा कि मैं बच गया यह ऊपरवाले की दया है। अगर मैं मर जाता तो मेरे तीन छोटे बच्चे और पत्नी का क्या होता ? बताया कि मैं छाती में अंदरूनी दर्द महसूस कर रहा हूँ। पैर भी आंशिक प्रभावित हुए हैं। कहा : कहीं से कोई सहयोग या मदद अब तक नहीं मिला है। पूछे जाने पर लुकस की पत्नी छुमी मरांडी ने बताया कि मेरे पति ही एक मात्र कमाऊ व्यक्ति हैं। सरकारी अनाज सिर्फ 5 केजी मिलता है। अन्य सदस्यों का नाम कार्ड में उल्लिखित नहीं है। बहरहाल, ऐसे संवेदनशील मामले में प्रशासन, जन प्रतिनिधि अथवा एनजीओ या समाजसेवी को लुकस के परिजनों के प्रति विशेष संवेदनशील होना चाहिए।
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