समाचार चक्र संवाददाता
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पाकुड़। पाकुड़ जिले में पलायन और बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। कोयला, पत्थर, बालू भरा पड़ा है। इसके बावजूद यहां के युवा बेरोजगार बैठे हैं। मजदूरी कर गुजारा करने वाले गरीबों को काम नहीं मिल रहा है। मजदूर हो या युवा, काम की तलाश में भटक रहे हैं। गरीब तबके के लोग दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए दूसरे राज्यों में काम तलाश रहे हैं। युवाओं को काम नहीं मिल रहा है। जिससे वे बेरोजगार बैठे हुए हैं। यह बेहद ही गंभीर मामला है और इस मामले को मैं राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाऊंगी। यह बातें भाजपा नेत्री डॉ मिसफीका हसन ने कही है। उन्होंने कहा कि पाकुड़ में बेरोजगारी और पलायन की समस्याओं को राष्ट्रीय स्तर पर रखूंगी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पाकुड़ के साथ-साथ पूरे झारखंड में पलायन को रोकने और स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने पर जोर दिया गया था। इस पर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर काफी काम किया। लेकिन सरकार बदलते ही सबकुछ खत्म सा हो गया। उन्होंने कहा कि मैं जब पहली बार मुखिया बनी तो मुझे लोगों का काफी सपोर्ट मिला। ईलामी पंचायत के ग्रामीणों का खास सपोर्ट रहा। इसके साथ-साथ आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने भी काफी सहयोग किया। मैं उन सभी का शुक्रगुजार हूं। इनमें गरीब मजदूर परिवार के लोग भी थे और बेरोजगार शिक्षित युवा भी शामिल थे। जिन्होंने मुझे काफी ज्यादा सपोर्ट किया और उन्होंने जनहित के लिए कुछ करने का सलाह भी दिया। अब मेरी जिम्मेदारी बनती है कि सिर्फ इन्हीं ग्रामीणों का नहीं, बल्कि पूरे पाकुड़ जिले के लिए काम करूं। इन्हें स्थानीय तौर पर कैसे रोजगार मिले, किस तरह से पलायन पर रोक लगे, इस पर पहल करूंगी। इन मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाऊंगी। उन्होंने कहा कि पाकुड़ एक पिछड़ा जिला जरुर है, लेकिन यहां कोयला, बालू और पत्थर की भरमार है। इसके बावजूद स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। मजदूरों को पलायन करना पड़ रहा है। युवाओं को रोजगार के लिए भटकना पड़ रहा है। यह बेहद ही चिंताजनक स्थिति है। इसके लिए हमें अपनी जिम्मेदारी को समझाना पड़ेगा।
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