पाकुड़-जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग जी जान से जुटी है। विभागीय अधिकारियों और कर्मियों का अथक प्रयास रंग भी ला रहा है। चिकित्सकों एवं अन्य संसाधनों की कमी के बावजूद व्यवस्था में बदलाव साफ नजर आ रहा है।
इधर सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने कहा कि सीमित संसाधन में ही बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना हमारा लक्ष्य रहा है। मैं पिछले साल अगस्त में योगदान लिया हूं। योगदान के बाद से ही मरीजों को बेहतर सेवा देने का प्रयास रहा है। यह अलग बात है कि किसी के जाने या आने से व्यवस्था प्रभावित नहीं होना चाहिए। लेकिन मैंने हमेशा सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया है। इसमें विभागीय तमाम पदाधिकारी, चिकित्सक एवं कर्मियों का सहयोग रहा है।
डॉक्टरों की 99 स्वीकृत पद के विरुद्ध 22 ही कार्यरत
सिविल सर्जन ने कहा कि चिकित्सकों का 99 पद स्वीकृत है। इसके विरुद्ध महज 22 चिकित्सक ही हमारे पास हैं। पूरे जिले में बच्चों का डॉक्टर नहीं है। एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। फिर भी सीमित संसाधन में ही बेहतर सेवा दे रहे हैं।
सिजेरियन में भी अव्वल पाकुड़ स्वास्थ्य विभाग
सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने बताया कि 24 जिलों में पाकुड़ एकमात्र ऐसा जिला है, जहां हर महीने 100 के आसपास सिजेरियन होती है। इस मामले में पाकुड़ जिला अव्वल है। अन्य जिलों में 12 से 15 सिजेरियन होती है। यह हमारे लिए खुशी की बात है कि चिकित्सकों और कर्मियों की टीम भावना से हम हर महीने 100 से भी ज्यादा सिजेरियन का सफल ऑपरेशन कर पाते हैं। प्रखंड में भी एक-एक डॉक्टर ही हैं। फिर भी वहां बेहतर चिकित्सीय सुविधा दी जा रही है। सदर अस्पताल की बात करें या प्रखंड की, डॉक्टर की कमी बिल्कुल भी पता नहीं चलता है।
बेसिक चिकित्सा से मिल रही उपलब्धि
सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने कहा कि बेसिक चिकित्सा हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। तकरीबन 90 प्रतिशत मरीजों का हम बेसिक चिकित्सा से सफल इलाज करते हैं। शेष 2, 4 या 10 प्रतिशत मरीज ही रेफर होते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी जिले के लिए सदर अस्पताल आईना होता है। इसलिए सदर अस्पताल में सुविधाएं हमेशा मजबूत होना चाहिए।
रेफरल पॉइंट भी दुरुस्त
सदर अस्पताल में रेफरल पॉइंट को भी दुरुस्त किया है। जिलेभर से चाहे मेजर एक्सीडेंट हो या फिर सिजेरियन के मरीज हो, सदर अस्पताल ही आते हैं। इस बात का हमेशा ध्यान रखना होता है। इसके अलावा पोस्टमार्टम की व्यवस्था भी दुरुस्त है। कोशिश रहती है कि सही समय पर पोस्टमार्टम हो जाए।
ब्लड बैंक भी मजबूत
उन्होंने यह भी कहा कि ब्लड बैंक की सुविधाएं भी मजबूत है। कभी भी जरूरत पड़ने पर मरीजों को ब्लड मिल जाता है। इसमें इंसानियत फाउंडेशन सहित कई अन्य संस्थाएं हैं, जिनका मजबूत सपोर्ट मिल रहा है। मेरे योगदान के बाद से एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ कि ब्लड के बगैर किसी मरीज को रेफर किया गया हो। यहां के लोगों की भावना का कद्र करता हूं। किसी एक की जरूरत के लिए दस लोग आगे आ जाते हैं।
ममता वाहन को गांवों से कराया गया टैग
उन्होंने कहा कि ममता वाहन को गांव पंचायत से टैग किया गया है। मेरी कोशिश रही है कि गांव पंचायतों में स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र में भी गर्भवती माताओं की डिलीवरी हो। अंजना, भवानीपुर, शहरग्राम सहित कई अन्य स्वास्थ्य उप केंद्र में प्रसव की सुविधा को दुरुस्त किया गया है। इससे यहां कार्यरत नर्स भी एक्टिव हो गई है।
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना का समय पर मिल रहा लाभ
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत मरीजों को समय पर भुगतान मिले। जिससे कि उसका इलाज समय पर हो सके। इसलिए भुगतान की दिशा में हमेशा तत्पर रहते हैं।
दूर हुई पानी, साफ-सफाई व अन्य छोटी छोटी समस्याएं
सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने कहा कि सदर अस्पताल में कुछ छोटी-छोटी समस्याएं या परेशानियां थी, जिन्हें दूर किया गया है। इनमें साफ-सफाई, पानी, बाथरूम आदि शामिल हैं। सदर अस्पताल में तीन-चार बोरिंग है। लगभग सभी को दुरुस्त किया गया है। जिससे पानी की समस्या काफी हद तक दूर हुआ है। शौचालय में कुछ चीजें टूट फूट गई थी। जिसे ठीक कराया गया है। ताकि मरीजों को या उनके परिजनों को परेशानी नहीं हो। सदर अस्पताल के गार्डन में हजारों पेड़ पौधे लगाए गए हैं। सदर अस्पताल में साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को दुरुस्त किया है। सिविल सर्जन ने कहा कि सदर अस्पताल नगर परिषद क्षेत्र से बाहर पड़ता है। इसके बावजूद नगर परिषद से संपर्क किया गया और कचरा प्रबंधन का रास्ता साफ हुआ। नगर परिषद की गाड़ियां आकर कचरा ले जाती है। इससे सदर अस्पताल को साफ सुथरा रखने में सहूलियत होती है। कचरा का ढेर जमा हो जाता था। जिससे वातावरण प्रदूषित होती थी। अब यह समस्या भी दूर हो गई है।
कालाजार और टीबी मुक्त होगा पाकुड़ जिला
सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने टीबी और कालाजार उन्मूलन को लेकर कहा कि हमारी टीम बेहतर काम कर रही है। तय समय पर जिला को पूरी तरह टीबी और कालाजार मुक्त कर लिया जाएगा। लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा प्रखंड में कालाजार मरीज मिलने की संभावनाएं रहती है। यहां हम नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि 933 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। इन्हें पौष्टिक आहार भी मिल रहा है। वहीं समाजसेवी, व्यावसाई और विभिन्न संगठनों ने 800 मरीजों को गोद लिया है।