समाचार चक्र संवाददाता
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पाकुड़। पिछले कुछ दिनों पहले तक समाचार माध्यमों, चाहे वो डिजिटल हो या अखबारों के पन्ने, सभी अवैध जाली लॉटरी और नशा के सौदागरों की निरंकुश कहानियों भरी रहती थी। कभी कभार एकाध लॉटरी बेचने वाले छोटे घूम कर बेचने वाले विक्रेता के पकड़े जाने की खबर बड़ी प्रमुखता से बताई और छपी जाती थी। लेकिन बड़े मगरमच्छ इतराते हुए अपने अवैध धंधे में मशगूल रहे। इसपर समाज में तथा चौक चौराहों पर ताने भी मारे जाते थे, जो एकदम स्वाभाविक था तथा लगता भी था। लेकिन पिछले एक पखवाड़े से नशे और लॉटरी के कुछ बड़ी मछलियों को पुलिस ने बड़ी चुनौती मान धर दबोचा है। हांलाकि पकड़े गए ये बड़ी मछलियां ही हैं, अभी भी नशे और लॉटरी के बड़े मगरमच्छ अपराध की कोठरी के कोने में दुबके पड़े हैं। लेकिन पुलिस की कार्रवाई ने उन्हें दुबकने को मजबूर कर दिया है। पुलिसिया कार्रवाई ऐसी जोर पकड़ी हुई है कि अचानक किसी दिन उनके पकड़े जाने की खबर भी अखबारों की सुर्खियों में जरूर आएगा, ऐसा लोगों को लगने लगा है। पश्चिम बंगाल की सीमा पर बसे पाकुड़ में नशे का कारोबार कारोबारियों के लिए बड़ा ही सुलभ है। कई स्तर पर इस धंधे में लोग लगे हुए हैं। पहला तो वो जो देश की सीमा पार से पश्चिम बंगाल के थोक विक्रेताओं को माल पहुंचाते हैं, दूसरा उन थोक विक्रेताओं से वो माल विभिन्न स्थानों पर माल पहुंचाने वाले, जिन्हें इलाके तथा उन रास्तों उपरास्तों का बखूबी पता होता है। जिन पर पकड़े जाने का खतरा कम होता है। इन्हें केरियर कहते हैं और फिर जब ये नशे का सामान यहां अपने गंतव्य तक पहुंच जाता है, तब कई तरीकों से इसे बाजार में खपाया जाता है। इसमें बेरोजगार युवाओं के साथ-साथ सौंदर्य की आड़ में आंचलों का सहारा लिया जाता है। कुछ टोटो चालक भी ऐसे काम में लगे हैं, ये सूत्रों का बताना है। लॉटरी की बिक्री और खरीद बहुत पहले यहां अवैध नहीं था। लेकिन इसमें फंस कर बर्बाद होते लोगों और उससे प्रभावित होते परिवार की बड़ी संख्या को अहसासते हुए सरकार ने लॉटरी पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रतिबंध के बाद भी शुरुआत में चोरी छुपे दूसरे स्टेट के लॉटरी की बिक्री यहां होती थी। पर वो ओरिजनल लॉटरी होते थे। अचानक किसी महारथी ने दिमाग लगाया और जाली लॉटरी स्थानीय तौर पर छापने लगा। चूंकि लॉटरी के धुरंधर इसे पहचान ही जाते, इसलिए इन स्थानीय तौर पर छपने वाले लॉटरी को ए टी एम लॉटरी का नाम दिया गया। इसमें कभी कभार छोटे मोटे प्राइज के रूप में कुछ पैसे जब खेलवाड़ों को मिलने लगे तो इस लॉटरी ने बाजार पकड़ लिया। एक और तो लॉटरी पर प्रतिबंध से बेरोजगार युवाओं को धंधा मिल गया और दूसरी ओर ऐसी लॉटरी छापने वाले को बाजार। नतीजतन वे चंद दिनों में करोड़ों कमा गए। फिर क्या था बाजार में दर्जनों लॉटरी छापने वाले उतर गए। बाजार और बेचने वालों की कमी नहीं थी और आदतन खरीदने वालों की भी कमी नहीं, चल पड़ा ये अवैध रोजगार। इसमें अचानक पैसे बनाने वाले छपकड़ुओं ने बहुतों का ईमान भी खरीदा और निरंकुश चलते रहे। पाकुड़ के देखादेखी इस एटीएम लॉटरी ने पूरे संथालपरगना में पैर पसार दिया। पुलिस भी इनकी तादात से परेशान रही, कानून के अपर्याप्त सजा के बिनाह पर ये छोटी मछलियां पकड़ी जातीं और एक सप्ताह में फिर बाज़ार में वो नजर आता। लेकिन जो सबसे बड़ी बात थी कि बड़ी मछलियां नहीं हत्थे चढ़ती। इन दिनों पाकुड़ पुलिस की एक नई ऐसी युवा टीम अनुभवों के कंधों पर सवार होकर इन अवैध बाजार के मगरमच्छों पर कहर बरपा रही है कि चर्चा का विषय बन गया है। थानों को युवा थानेदारों ने ऐसा सक्रिय कर दिया है कि इतराने वाले अवैध कारोबारियों के मूंह पर बारह बजे पड़े हैं। अब आप एक लाख हो या सौ करोड़ सबको हवालात के दर्शन होने लगे हैं। पुलिस कप्तान का नेतृत्व और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के अनुभव ने युवा थानेदारों को गजब का जोश दे रखा है। हांलाकि इसी लॉटरी और नशे के कारोबारियों की निरंकुशता ने पुलिस को बदनाम भी किया। लेकिन कहते हैं न कानून के हाथ लंबे होते हैं, कुछ वहीं दृश्य इन दिनों पाकुड़ में दिख रहा है।
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