समाचार चक्र संवाददाता
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पाकुड़। मालपहाड़ी पत्थर उद्योग क्षेत्र के सुंदरापहाड़ी में नियमों को ताक पर रखकर पत्थर खदान और क्रशरों का संचालन किया जा रहा है। यहां सरकारी स्कूल से महज 50 मीटर दूरी पर क्रशर और 150 मीटर दूरी पर खदानों का संचालन हो रहा है। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाली पीडब्ल्यूडी मुख्य सड़क से सटाकर क्रशर और खदानों को संचालित किया जा रहा है। नगरनवी से नसीपुर-चेंगाडांगा जाने वाली मुख्य सड़क के दोनों किनारे क्रशर और खदानें संचालित है। इससे भी बड़ी बात यह है कि क्रशर और खदानों के संचालन में गांवों और जलाशयों की दूरी को भी अनदेखी किया गया है। क्रशर व खदानों की गांवों के बीच की दूरी भी महज सौ दो सौ मीटर ज्यादा नहीं है। यहां सबसे बड़ी चिंता की बात तो यह है कि क्रशर और पत्थर खदानों से सबसे ज्यादा खतरा स्कूल भवन और छात्रों के स्वास्थ्य को है। क्रशरों से उड़ते स्टोन डस्ट छात्रों को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। उन्हें स्टोन डस्ट से जानलेवा बिमारी का खतरा हो सकता है। पत्थर खदानों में ब्लास्टिंग से स्कूल भवन को नुकसान हो रहा है। पत्थर खदानों से महज 150 मीटर दूरी पर स्थित सुंदरापहाड़ी मिडिल स्कूल के भवन में दरारें पड़ने की आशंका है। पत्थर खदानों में ब्लास्टिंग के दौरान छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है। हालांकि सूत्रों का दावा भी है कि हैवी ब्लास्टिंग से स्कूल भवन में दरारें पड़ने लगी है। कई जगह दीवारों और छत पर भी दरारें आ चुकी है। ब्लास्टिंग के दौरान पूरी बिल्डिंग में कंपन होने लगता है। इसी दौरान छात्रों में दहशत का माहौल बना रहता है। कुछ देर के लिए छात्र खौफ में आ जाते हैं। इस दौरान ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल बना रहता है। इन तमाम परिस्थितियों को खनन माफिया अनदेखी कर क्रशर और खदानों का बेखौफ होकर संचालन करते हैं। यहां सोचने वाली बात तो यह भी है कि क्रशर और खदान संचालन की स्वीकृति में भी तमाम परिस्थितियों को दरकिनार कर दिया गया। आस-पास में स्कूल, गांव और जलाशयों की मौजूदगी के बावजूद स्वीकृति प्रदान कर दिया गया। इधर नगरनवी गांव के घोषपाड़ा में शुक्रवार को दीवार ढहने से बुजुर्ग महिला की मौत के बाद इन बातों की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। प्रशासन और खनन विभाग को सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई करने की जरूरत है।
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