समाचार चक्र संवाददाता
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पाकुड़। मालपहाड़ी पत्थर उद्योग क्षेत्र के सुंदरापहाड़ी में हैवी ब्लास्टिंग से स्कूल की दीवारों और छत पर दरारें पड़ गई है। जिससे छात्रों में खौफ का माहौल बना हुआ है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय सुंदरापहाड़ी में पढ़ने वाले सैंकड़ों छात्रों में हैवी ब्लास्टिंग का डर बना हुआ है। पत्थर खदानों में ब्लास्टिंग से छात्र-छात्राएं भयभीत हैं। वहीं ब्लास्टिंग के दौरान स्कूल में अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है। दूसरी तरफ क्रशरों से उड़ते स्टोन डस्ट छात्रों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। अभिभावक भी बच्चों के साथ किसी भी अप्रिय घटनाओं की संभावनाओं से आशंकित और चिंतित हैं। हालांकि अभिभावक खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक कि शिक्षक और छात्र-छात्राएं भी शिकायत करने से डर रहे हैं। पत्थर खदान और क्रशर मालिकों से शिकायत की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। बस प्रशासन से आश लगाए बैठे हैं कि कब संज्ञान में लेकर कार्रवाई कर रही है। यह अलग बात है कि जिला खनन विभाग मामले को गंभीरता नहीं ले रही है, लेकिन एक उम्मीद जरूर बनी हुई है। इधर नाम प्रकाशित नहीं करने के शर्त पर अभिभावकों और छात्रों का कहना है कि खदान और क्रशर मालिक मनमानी कर रहे हैं। पत्थर खदानों में हैवी ब्लास्टिंग छात्रों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। लेकिन मालिकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। दुर्घटना की आशंकाओं के बीच डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हो रहे हैं। इस क्षेत्र में संचालित हो रहे खदानों की दूरी स्कूल से महज 150 से 300 मीटर ही है। इसलिए ब्लास्टिंग का असर ज्यादा पड़ रहा है। दोपहर को तकरीबन 1:30 बजे से 2:30 बजे तक स्कूल अवधि में हैवी ब्लास्टिंग होती है। इस दौरान स्कूल में अफरा-तफरी मच जाती है। अधिकतर छात्र क्लास रूम से बाहर निकल पड़ते हैं। शिक्षक भी डर से इधर-उधर करने लगते हैं। भवन में कई जगहों पर दरारें आ चुकी है। दीवारों और छतों को मिलाकर तकरीबन एक दर्जन जगहों पर दरारें आ गई है। इससे छात्रों में डर बना रहता है। यह भी कहना है कि ब्लास्टिंग के दौरान स्कूल परिसर में भुकंप जैसे हालत बन जाते हैं। पूरे स्कूल परिसर में कंपन होने लगती है। भवन में कंपन से दुर्घटना का डर बन जाता है। इसलिए अधिकतर बच्चें भवन से निकल पड़ते है। यह भी कहना है कि स्कूल भवन से कुछ ही दूरी पर लगभग आधे दर्जन खदानों का संचालन किया जा रहा है। इन खदानों में अलग-अलग समय पर ब्लास्टिंग किए जाते हैं। कुछ खदानों में स्कूल अवधि के बाद भी ब्लास्टिंग होते हैं। उस दौरान भी स्कूल भवन को नुकसान पहुंचता होगा। प्रशासन और विभाग को इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। अन्यथा स्कूल में बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि डीएमओ का कहना है कि उन्हें हैवी ब्लास्टिंग की जानकारी नहीं है और इसकी जानकारी लेकर कार्रवाई करेंगे।
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