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ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। महापर्व छठ के तीसरे दिन सोमवार को डूबते सूर्य या अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। जबकि मंगलवार की सुबह उदीयमान या उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रतियों का व्रत समाप्त हो जाएगा। व्रती या परवैतिनें छत्तीस घंटों के अखंड निर्जला उपवास के बाद उगते भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के बाद पारण करेंगीं। श्रद्धालू भक्त पवित्र बासलोय नदी तट पर स्थित पीएचईडी घाट, दुर्गा मंदिर घाट , पार्क घाट आदि पर एकत्रित हुए। घाटों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। लाइटिंग की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। वातावरण छठ के मधुर गीतों से भक्तिमय हो चुका है। व्रतियों को घाटों पर कोई परेशानी न हो, सुविधाओं पर ध्यान रखा गया है। ग्रामीण पिछले चार दिनों से घाटों को व्यवस्थित और सुसज्जित करने में लगे हुए थे।
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छठ पर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य क्यों
संपूर्ण वर्ष भगवान भाष्कर के उपासक या भक्तगण सिर्फ उगते सूर्य को ही अर्घ्य देते हैं किन्तु छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को भी जलार्पण या दुग्धार्पन किया जाता है। चूंकि मान्यता है कि इस दौरान सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इन्हें अर्घ्य देने से आर्थिक,सामाजिक,मानसिक और शारीरिक समस्याएं दूर होती हैं। भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं उगते सूर्य को अर्घ्य देने से यश, आत्मविश्वास और अच्छी सेहत मिलती है। जीवन में समृद्धि आती है।



