समाचार चक्र संवाददाता
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पाकुड़। सदर प्रखंड क्षेत्र में बिना विभागीय अनुमति के ही ईंट भट्टों (बंग्ला भट्टा) का संचालन किया जा रहा हैं। ईंट भट्टों में चोरी के कोयले का भी खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है। ईंट भट्टा चलाने वालों को नियम कानून का जरा सा भी डर नहीं है। जानकारों का कहना है कि ईंट भट्टों के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन और भूविज्ञान विभाग से अनुमति लेना होता है। लाइसेंस प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किए जा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य आवश्यक विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करना होता है। किसी भी प्रकार की मिट्टी खुदाई के लिए संबंधित विभाग से अनुमति जरूरी है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में संचालित ईंट भट्टों के लिए विभागों से अनुमति लेना जरूरी नहीं समझते है। बिना अनुमति के ही ईंट भट्टों का खुलेआम गैर कानूनी तरीके से संचालन करते हैं। इधर जमशेरपुर पंचायत के भेड़ापोखर गांव में भी ऐसा ही नजारा दिखा। जहां खुलेआम अवैध ईंट भट्टा का संचालन किया जा रहा है। यहां लाखों ईंट बनाकर रखें गए हैं। ईंट भट्टा संचालक की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि खुलेआम चोरी का कोयला भट्टा में इस्तेमाल किया जा रहा है। कोयला खरीदने के लिए भट्टा के पास वेट मशीन भी रखा है। जिसमें तौल कर चोरी का कोयला खरीदा जा रहा है। यह तो एक उदाहरण है, दर्जनों गांवों में इस तरह अवैध तरीके से ईंट भट्टों का संचालन होता है। हालांकि अभी शुरुआती सीजन है और धीरे धीरे ऐसे भट्टों की संख्या बढ़ रही है। इधर संथाली रामचंद्रपुर, नरोत्तमपुर, जुगिगड़िया, कुमारपुर आदि गांवों में भी हर साल ठंड का मौसम शुरू होते ही अवैध ईंट भट्टों का संचालन भी शुरू हो जाता है। इधर विभाग भी संबोधित मामलों की जांच नहीं करती है। अवैध ईंट भट्टों के संचालन का यह एक बड़ी वजह है। ईंट भट्टों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से संचालकों का मनोबल बढ़ जाता है। अब देखना यह है कि अवैध ईंट भट्टों के खिलाफ कार्रवाई होती भी है या नहीं। इधर जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) राजेश कुमार ने कहा कि अवैध तरीके से चलाए जा रहे ईंट भट्टों की जांच कराई जाएगी। अगर अनुमति लिए बिना ईंट भट्टा चलाए जा रहे हैं, तो संचालक के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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