समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। जिले का लिट्टीपाड़ा प्रखंड पूरे देश में विकास के मामले में सबसे नीचे पायदान पर माना जाता है। लिट्टीपाड़ा के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की हालत किसी से छुपी नहीं है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से जूझते आ रहे हैं। इन्हीं में से विकास से कोसों दूर गांडुपरता एक गांव है। इस गांव में जनजाति समाज के लोग निवास करते हैं। आजादी के बाद पहली बार इस गांव के ग्रामीणों के यातायात में सुविधा के नाम पर पीसीसी सड़क निर्माण की स्वीकृति मिली। यह खबर ग्रामीणों के लिए किसी उत्सव की खुशी की तरह थी। पहली बार ग्रामीणों को पीसीसी सड़क नसीब होने वाला था। अलग-अलग पांच पार्ट में निर्माण कार्य शुरू हुआ, कुछ पूरे भी हो गए। लेकिन यही सड़क ग्रामीणों के लिए निराशा और मायूसी का कारण भी बन गया है। पीसीसी सड़क के निर्माण में बड़े पैमाने पर मानकों की अनदेखी और गुणवत्ता को दरकिनार करने का आरोप लग रहा है। लिट्टीपाड़ा के पहाड़िया नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शिवचरण मालतो को जैसे ही सड़क के निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मिली, उन्होंने तुरंत कार्य स्थल पर जाकर सड़क निर्माण की गुणवत्ता को दिखा। उन्होंने ग्रामीणों की मौजूदगी में सड़क निर्माण में गड़बड़ी की सच्चाई को उजागर किया। इसके बाद शिवचरण मालतो ने ग्रामीणों के मांग पर जिला परिषद सदस्य बेसागी पहाड़िन के जरिए उपायुक्त मनीष कुमार को वस्तु स्थिति से अवगत कराया। आवेदन के जरिए सड़क निर्माण में गुणवत्ता से खिलवाड़ करने वाले संवेदकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई। ताकि सड़क निर्माण में गुणवत्ता और मानकों में सुधार हो। इधर शिवचरण मालतो ने बताया कि दो महीने पहले उपायुक्त को आवेदन दिया गया था। हालांकि अभी तक सड़क निर्माण की जांच नहीं हुई। लेकिन मुझे भरोसा है कि उपायुक्त महोदय जांच करेंगे और कार्रवाई भी करेंगे। उन्होंने बताया कि मोहुलबोना से गांडुपरता पहाड़िया टोला होते हुए संथाली टोला तक पीसीसी सड़क निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इस सड़क का निर्माण पांच अलग-अलग पार्ट में होना था। लेकिन सड़क के निर्माण में संवेदकों के द्वारा खुलेआम लूट की गई। प्रावधान के मुताबिक काम नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ बिना जीएसबी बिछाए ढलाई कर दिया। दूसरी तरफ दो से तीन इंच (थिकनेस) ढलाई किया गया। निर्माण कार्य में गुणवत्ता को दर्दनाक कर दिया गया। यहां तक कि वाइब्रेटर का इस्तेमाल भी नहीं किया गया। अपने करतूतों को छुपाने के लिए संवेदकों ने स्थानीय मजदूरों से भी काम नहीं लिया। यहां के मजदूरों से रोजगार छीनकर बाहर के मजदूरों से काम लिया गया। उन्होंने बताया कि पीसीसी सड़क का निर्माण विशेष प्रमंडल के द्वारा कराया गया और डीएमएफटी फंड से राशि उपलब्ध कराई गई। आरोप लगाया कि विशेष प्रमंडल ने संवेदक को लूट की खुली छूट देकर रखा। यही वजह है कि कार्यस्थल पर कोई भी पदाधिकारी नहीं पहुंचे। इससे साफ प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं विशेष प्रमंडल के द्वारा संवेदकों को लूटने के लिए छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि उपायुक्त महोदय के संज्ञान में है और कार्रवाई करेंगे। अगर कार्रवाई नहीं होती है तो ग्रामीणों के साथ निर्माण स्थल पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। इसके लिए विशेष प्रमंडल और प्रशासन जिम्मेदार होंगे। इधर कनीय अभियंता अजय कुमार ने पूछे जाने पर कहा कि आरोप गलत है। उन्होंने जीएसबी नहीं बिछाने के आरोप पर कहा कि ऐसा नहीं है, जीएसबी बिछाए गए हैं। मैंने जांच किया है और निर्माण कार्य में कोई गड़बड़ी नहीं है।