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Maqsood Alam
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बीजीआर कंपनी पब्लिक हित में नहीं निजी हित में कर रही है काम- विधायक बसंत

विस्थापितों को मिलेगा उनका हक

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Gunjan Saha
(Desk Head)

ललन झा @समाचार चक्र

अमड़ापाड़ा। झामुमो से दुमका के कद्दावर विधायक सह सीएम बसंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन पहली दफा आलूबेड़ा पहुंचे। ग्रामीणों ने उनका भव्य स्वागत किया। फूल माला पहनाकर श्री सोरेन का अभिनंदन किया। स्थानीय पंचायत सचिवालय में नॉर्थ और सेंट्रल कोल ब्लॉक के दर्जनों गांवों के विस्थापितों से मिले। विस्थापित उन्हें अपने बीच पाकर खुश हुए। विभिन्न गांवों के विस्थापितों ने उन्हें बारी-बारी से उन्हें अपनी समस्याएं सुनाईं। विस्थापित रैयतों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि बीजीआर अथवा डब्लूबीपीडीसीएल पिछले पांच वर्षों से यहां कोल माइनिंग कर रही है। करोड़ों का व्यापार प्रति दिन हो रहा है। लेकिन, विस्थापितों की समस्याओं के प्रति जरा सा भी गंभीर नहीं है। कंपनी मनमानी कर रही है। न शिक्षा के लिए एक बढ़िया सा स्कूल है , न बेहतर चिकित्सा के लिए कोई सुविधायुक्त हॉस्पिटल। न ग्रामीणों को पेयजल मिल पा रहा है न सड़क। ग्रामीण युवाओं के बीच बेरोजगारी तो चरम पर है। डीबीएल और बीजीआर जैसी दो बड़ी कोल कंपनियों के क्षेत्र में संचालित होने के बावजूद विस्थापितों की दशा दयनीय है। नौकरी या रोजगार के नाम महज पांच-सात हजार रुपए देती है। ग्रामीणों ने विधायक को बताया कि अधिग्रहित जमीन के बदले मुआवजा राशि के भुगतान में भी कंपनी ने पारदर्शिता नहीं बरता है। इसमें व्यापक गड़बड़ी हुई है। लोगों को पुराने रेट पर मुआवजा दिया गया है। विस्थापितों का सब कुछ खत्म हो गया है। ग्रामीण वर्षों से बुनियादी कमियों से जूझ रहे हैं।

नहीं हो रहा है दिशोम गुरु शिबू सोरेन का सपना साकार

विधायक बसंत सोरेन और विस्थापित ग्रामीण के बीच हुई बैठक अथवा चर्चा में यह मसला भी सामने आया कि शिबू सोरेन ने राज्य के आदिवासी, मूलवासी, दबे-कुचले, दमित-शोषित, विस्थापित-प्रभावित हित में जो समग्र विकास और उत्थान का सपना देखा था वह पूरा नहीं हो रहा है। जब तक आखिरी पांत के लोगों को उनका हक और अधिकार नहीं मिल जाता है तबतक गुरुजी के सपने को आकार नहीं मिल सकता। विस्थापितों ने विधायक बसंत सोरेन को अपनी उम्मीद और आशा भरी निगाह से देखा।

एमओयू की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां

विस्थापितों ने विधायक को अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि जब सेंट्रल कोल ब्लॉक को पनेम या एमटा संचालित कर रहा था, उस समय राजमहल पहाड़ बचाओ आंदोलन के तहत जो समझौता हुआ था उस का अनुपालन बीजीआर नहीं कर रही है। विस्थापित छले जा रहे हैं। कहा कि हमलोगों के साथ कबतक ऐसा होता रहेगा? हमलोगों को हमारा अधिकार दिलाएं। हमारी समस्याएं सरकार तक पहुंचाएं और न्याय दिलाएं।

कंपनी पब्लिक हित के लिए नहीं नीजी हित के लिए कर रही है काम, विधायक बसंत

विधायक ने ग्रामीणों की समस्याओं को गंभीरता से सुना। कहा कि आपलोगों के बीच यह मेरी पहली विजिटिंग है। मैंने जमीनी स्थिति को समझा। आपलोगों को यह मजबूत भरोसा देता हूं कि यथा शीघ्र आपकी मूलभूत समस्याएं दूर होंगीं। मैं आपकी तकलीफों को सरकार तक पहुंचाऊंगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक उच्चाधिकारी और कंपनी के सक्षम अधिकारियों से बात करूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि आप सबों से बात कर यह समझ में आया कि कंपनी ने शिक्षा, चिकित्सा के लिए भी कोई काम नहीं किया है। निजी हित के लिए जनता के हित की बलि चढ़ा दी है। विधायक ने विस्थापितों को उनके बीच पुनः आने का भरोसा भी दिया। ग्रामीणों से अपने अधिकार और हक के लिए जागरूक होने की अपील भी किया।

विधायक ने खनन क्षेत्र का भी किया दौरा

विधायक बसंत ने आलूबेड़ा के नॉर्थ कोल ब्लॉक को भी देखा। बिशनपुर और चिलगो के सीमा क्षेत्र पर उनके समक्ष कराए गए ब्लास्टिंग का भी अवलोकन किया। इस दौरान बीजीआर और डब्लूबीपीडीसीएल के उच्चाधिकारियों ने खनन क्षेत्र में ही उनसे औपचारिक मुलाकात भी किया। उन्हें माइनिंग संबंधी विभिन्न जानकारियों से भी अवगत कराया।

मुख्यतः ये थे मौजूद

उनके इस कार्यक्रम में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था के लिए एसडीपीओ विजय कुमार और पर्याप्त पुलिस बल के अलावे उनके समर्थक रंजन मरांडी, मनोज भगत, प्रधान मूर्मू ,कोर्नेलियुस हेम्ब्रम, परगना टुडू, बोनेशर टुडू, धानो मरांडी, हिमांशू टुडू, बबलू मूर्मू, सोनाराम सोरेन, मो आफताब, आन्द्रीयास मूर्मू,एडविन मूर्मू सहित मुखिया, ग्राम प्रधान , ग्रामीण आदि मौजूद थे।

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