अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। सदर प्रखंड अंतर्गत ईशाकपुर गांव के पास मालगोदाम रोड किनारे स्थित बीड़ी श्रमिक अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया है। लाखों की लागत से बना अस्पताल का ना सिर्फ भवन भूत बंगला में तब्दील हुआ है, बल्कि लाखों का सामान बर्बाद हो चुका है। जिस अस्पताल में कभी 50 हजार से भी ज्यादा बीड़ी मजदूरों का निःशुल्क इलाज होता था, वहीं अस्पताल अब ड्रग्स और लॉटरी माफियाओं का अड्डा बन गया है। केंद्र सरकार के द्वारा संचालित बीड़ी अस्पताल में लाखों की दवाएं पड़ा-पड़ा एक्सपायर हो गया है। भवन की खिड़कियां और दरवाजे उखाड़ ले गया हैं। मेन गेट का दरवाजा भी गायब बताया जा रहा है। भवन के चारों तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई है।
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प्रशासन, जनप्रतिनिधि और सरकार ने भी बीड़ी अस्पताल की दुर्दशा से किनारा कर लिया है। किसी ने भी अस्पताल की ओर नजरें नहीं गड़ाई। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने भी जहमत नहीं उठाई। जबकि पिछले करीब पांच-छह सालों से बीड़ी अस्पताल की ऐसी हालत बनी हुई है। इससे पहले भी यह अस्पताल सालों तक बंद रहा। तत्कालीन विधायक एवं पूर्व मंत्री आलमगीर आलम ने बंद पड़े बीड़ी अस्पताल को चालू भी कराया। अस्पताल में बीड़ी मजदूरों को स्वास्थ्य लाभ मिलने लगा। अस्पताल में सुविधाएं भी बढ़ाई गई। इलाज व जांच के लिए लाखों करोड़ों की मशीनें लगी, दवा उपलब्ध कराई गई। अन्य जरूरी सुविधाओं में जेनरेटर आदि भी उपलब्ध कराया गया। डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को भी दूर कर दिया गया। अस्पताल की तस्वीरें ही बदल गई। पूर्व मंत्री आलमगीर आलम का प्रयास ऐसा रंग लाया कि अस्पताल हर तरफ चर्चा में आ गया। बीड़ी मजदूरों में आस जगी कि अब उन्हें इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इलाज शुरू भी हुआ और नियमित रूप से संचालित होता गया। लेकिन अचानक ही अस्पताल में ताला लग गया। इसके बाद फिर दोबारा ताला नहीं खुला। लंबे समय तक देख-रेख के अभाव में ना सिर्फ अस्पताल खंडहर में तब्दील होने लगा, बल्कि इस पर चोरों की नजर पड़ गई। अस्पताल में मौजूद सारी सुविधाएं चोर उड़ा ले गया। मशीन, जेनरेटर, खिड़कियां, दरवाजे सारी चीजें गायब कर दिए गए। इसके बाद बीड़ी अस्पताल का जो वर्तमान हालत हैं, इससे हर कोई वाकिफ है। नगर थाना की पुलिस ने तो अस्पताल की तस्वीरें सामने लाकर सबको चौंका ही दिया। अस्पताल के अंदर अवैध लॉटरी और ड्रग्स के धंधे का भंडाफोड़ हुआ। पुलिस ने इन गैर-कानूनी धंधे का खुलासा करते हुए लॉटरी और ड्रग्स का धंधा करने वाले दो युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पचास हजार से भी ज्यादा गरीब बीड़ी मजदूरों का इलाज करने वाला अस्पताल आज किस कदर खुद बीमार है। अस्पताल लॉटरी और ड्रग्स के कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी से ग्रस्त हो चुका है। अब वह दिन भी शायद दूर नहीं, जब अस्पताल का वजूद ही खत्म कर दिया जाएगा। कहीं ऐसा ना हो कि अस्पताल का भवन ही खतरे में ना पड़ जाए। असामाजिक तत्वों की नजर से अस्पताल को बचाने के लिए जनप्रतिनिधियों को खास तौर पर ध्यान देना होगा। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भी पहल करनी होगी।
