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सेजा के चिमनी भट्ठा में चोरी का कोयला से बनाये जाते हैं ईंट, प्रतिमाह सरकार को लाखों का नुकसान

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

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पाकुड़ । मुफस्सिल थाना क्षेत्र में चोरी के कोयले से चिमनी ईंट के भट्ठे चलाए जा रहे हैं। रोजाना दर्जनों साइकिल पर लदे चोरी के कोयले ईंट भट्ठों पर खाली होते रहते हैं।

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बताते चलें कि मुफस्सिल और मालपहाड़ी थाना क्षेत्र में अवैध रूप से दर्जनों बंगला ईंट भट्ठा और चिमनी ईंट भट्ठा चलाया जाता है। इस अवैध ईंट भट्ठे के लिए कागजी तौर पर किसी भी तरह का आदेश नहीं लिया जाता है। सिर्फ डंडेधारियों की सरपरस्ताी से यह अवैध ईंट भट्ठा फल-फूल रहा है। ये अवैध ईंट भट्ठे मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के सेजा और भुरकुंडा गांव के माठ में चलाए जाते हैं। बताया जाता है कि एक बार में लाखों चिमनी ईंट भट्ठा में तैयार किया जाता है, जिसमें बाल मजदूर सहित कम मजदूरी पर मजदूरों से काम लिया जाता है।

सूत्र बताते हैं कि सैंकड़ों टन कोयला बीजीआर और डीबीएल के कोयला खदान से रोजाना इन ईंट भट्ठा में साइकिल और मोटरसाइकिल के माध्यम से खपाया जाता है। तैयार अवैध ईंट ऊंचे दामों में बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में बेचा जाता है। जिसके कारण सरकार को प्रतिमाह लाखों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। यह अवैध चिमनी ईंट भट्टे मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के सेजा और भुरकुंडा माठ एवं पाली मोड़ बंगाल सीमा पर संचालित किया जाता है। इसके अलावे बंगला ईंट भट्ठा गगनपहाड़ी, कुमारपुर, संग्रामपुर, काकोडबोना, इस्लामपुर, चांदपुर, सीतापहाड़ी, देवतल्ला, सीतारामपुर सहित अन्य क्षेत्रों में दर्जनों अवैध ईंट भट्ठे निर्भीक होकर चलाए जा रहे हैं। जबकि चिमनी ईंट भट्टों पर भी वृहत पैमाने पर चोरी का कोयला सप्लाई किया जाता है।

भट्ठों के माध्यम से बेचे जा रहे हैं मंडी में चोरी के कोयले

सेजा और भुरकुंडा क्षेत्र में भट्ठों को चलाने के लिए खरीदे जा रहे चोरी के कोयले को पहले तो स्टॉक किया जाता है। कुछ टन कोयला तो ईंट भट्टों में खपाया जाता है। जबकि बाकी बचे सैंकड़ों टन कोयले जुगाड़ गाड़ी, 407 और ट्रेक्टर के माध्यम से बंगाल के विभिन्न मंडियों तक पहुंचाया जाता है।

बताते चलें कि कई बार पुलिस के द्वारा अवैध कोयला स्टॉक पर छापेमारी के बाद कुछेक दिन तक अवैध कोयला चोरी सहित अवैध कार्यों को रोक दिया जाता है। मामला ठंडा पड़ते ही फिर उसी रूप से अवैध कार्य सुचारू रूप से चलने लगते हैं।

प्रतिमाह होती है रुपयों की बंदरबांट

इन अवैध ईंट भट्टों को चलाने के बाद बचने वाले लाखों रुपये की बंदर बांट की जाती है। इन अवैध पैसों को डंडेधारियों सहित प्रभावशाली लोग व अवैध कार्य करने वाले लोगों के बीच बराबर बांटे जाते हैं। यदि पुलिस प्रशासन ईमानदारी से इन अवैध कार्यों को रोके तो राज्य सरकार को सलाना करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया जा सकता है।

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