
पाकुड़ । मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा। अल्लामा इकबाल का यह शायरी बहुत ही मशहूर है। यह शायरी हिंदुस्तानियों के ज़ुबां पर यूं ही आ जाती है।
अल्लामा इकबाल की यह शायरी शुक्रवार को उस वक्त खुद ब खुद जुबां पर आ गई, जब कलीम अलविदा जुम्मे की नमाज अदा करने चले गए और मिठू पवन की जोड़ी कलीम के दुकान में पहरा देने लगे। भाईचारा का यह बेहद ही खूबसूरत और दिलों को छू जाने वाली तस्वीर थी। यूं तो पाकुड़ आपसी भाईचारा और सौहार्द के लिए जाना जाता है। मिठू भगत और पवन भगत की सोच ने एक बार फिर इसे तरोताजा कर दिया।
दरअसल पुरानी डीसी ऑफिस से थोड़ी दूर मो. कलीम का चाय दुकान चलती है। माहे रमजान का अलविदा जुम्मे की नमाज का वक्त हो चला था। कलीम दुकान से नमाज पढ़ने जाने वाले थे। लेकिन दुकान किसके सहारे छोड़े, यह थोड़ा मुश्किल काम था। दोपहर का वक्त होने की वजह से आसपास कोई दिख भी नहीं रहा था। तभी मिठू भगत और पवन भगत दोनों दुकान पर आए। हालांकि कलीम मिठू और पवन को बोल भी नहीं सकते थे। लेकिन मिठू और पवन को कलीम की परेशानी को समझने में देर नहीं लगी। अलविदा जुम्मे की नमाज छुट ना जाए, इसलिए मिठू और पवन ने दुकान को संभाला। कलीम को समय पर नमाज अदायगी के लिए भेज दिया। मिठू भगत और पवन भगत के इस पहल से कलीम ने समय पर नमाज अदा किया।
तकरीबन एक घंटे तक मिठू और पवन ने कलीम के दुकान में पहरा देकर भाईचारे का वह मिसाल कायम किया, जो बहुत ही कम देखने को मिलता है। मिठू और पवन से जब पूछा गया तो साफ तौर पर कहा कि हम सबसे पहले इंसान हैं। इंसान को इंसान का काम आना चाहिए। दूसरी बात भाईचारा हमारी जिम्मेदारी है।