समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़ । शहर के धनुषपूजा स्थित मेथोडिस्ट चर्च एवं जिदातो बंगला चर्च में रविवार की सुबह खजूर रविवार पर्व का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सभी ईसाई धर्मावलंबी अपने हाथों में खजूर की डाली लेकर धनुषपूजा मेथोडिस्ट चर्च एवं जिदातो बंगला चर्च परिसर में एकत्रित हुए। जहां रेव्ह एमानुएल चित्रकार द्वारा खजूर डाली की आशीष की गई।
इसके बाद ईसाई धर्मावलंबी जुलूस के रूप में हाथों में खजूर की डाली लिए गाना गाते हुए चर्च में प्रवेश किए। जहां प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
बताया गया कि ईसा मसीह 40 दिन और 40 रात विनती और उपवास के बाद जब ईसा मसीह अपने घर येरूशलेम को लौट रहे थे। तो लोगों ने उनके स्वागत में खजूर की डाली काटकर सड़क पर बिछाए थे। उसी की याद में ईसाई धर्मावलंबी खजूर रविवार यानी खजूर का पर्व मनाते हैं।इस मौके पर रेव्ह इमानुएल चित्रकार ने कहा कि इस बार जब प्रभु यशु यरुशलम में प्रवेश कर रहे थे तो वह अच्छी तरह जानते थे कि यह उनका अंतिम प्रवेश है। फिर भी वह अपने ईश्वर पिता की आज्ञा को मानते हुए उनकी इच्छा को पूरी करने के लिए यरुशलेम में प्रवेश कर रहे थे। उनका यह प्रवेश किसी राजा से कम नहीं था और लोगों ने उनका स्वागत भी एक राजा की तरह ही किया। लेकिन इस राजा के स्वागत के लिए कोई अधिकारी गण वहां मौजूद नहीं था, ना ही किसी तरह का कोई बैंड बाजा था। बल्कि यह एक अद्भुत तरह का स्वागत था। क्योंकि यहां प्रभु स्वयं एक गधे पर सवार होकर आए थे। उनकी दीनता और लोगों के प्रति प्यार को दर्शाता है और यह बताता है कि वह एक सांसारिक नहीं बल्कि अद्भुत और ईश्वर की ओर से चुने गए राजा हैं। लोगों ने उनके स्वागत में भारी भीड़ में जमा होकर खजूर की डालियों काटकर सड़कों पर बिछा दिया और होसन्ना-होसन्ना चिल्लाते हुए पूरी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया। इस घटना के साथ ही प्रभु यीशु ने अपने पिता परमेश्वर की आज्ञा को पूरा करना शुरू कर दिया था। मौके पर कार्यक्रम को सफल बनाने में भाष्कर सरकार आदि मौजूद थे।
पाम संडे में क्या होते हैं खास कार्य
पाम संडे (खजूर रविवार) सभी गिरजाघरों में धूमधाम से मनाया जाता है। इसी के साथ ईसाई समुदाय का पवित्र सप्ताह शुरू होता है जो आने वाले शुक्रवार को गुड फ्राइडे और रविवार को ईस्टर मनाया जाता है। इस दिन ईसाई धर्म के अनुयाई प्रभु के आगमन की खुशी में गीत गाकर इस दिन का स्वागत करते हैं। लोग हाथों में खजूर की डालिया लेकर प्रभु के आने की खुशी में गीत गाते हैं और यह सिलसिला ईस्टर तक जारी रहता है।