समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़ । श्रद्धा ज्ञान देती है, नम्रता मान देती है, योग्यता स्थान देती है। तीनों मिल जाए तो सम्मान देती है। यह बातें केकेएम कॉलेज में करीब डेढ़ दशक तक सेवा दे चुके वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. प्रसनजीत मुखर्जी के लिए हैं। अपने सेवाकाल में शिक्षा, समाजसेवा और शोध में उत्कृष्ट कार्यों की ऐसी छाप छोड़ी है कि स्थानांतरण के बाद भी पाकुड़ वासी उन्हें भुला नहीं पा रहे हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकुड़ वासी उन्हें प्रेरणास्रोत मान चुके है। यही कारण है कि जब भी उनका पाकुड़ आना होता है, छात्र-छात्राओं से लेकर हर शुभचिंतक और चाहने वालों में उनसे एक बार मिलने की तमन्ना जरूर जगती है। इधर मंगलवार को अचानक ही डॉ. मुखर्जी का पाकुड़ में आना हुआ। पाकुड़ आगमन की खबर मिलते ही बंगाली एसोसिएशन ने उनके सम्मान में समारोह का आयोजन कर दिया।
गांधी चौक के पास स्थित भारत सेवाश्रम में मंगलवार की शाम आयोजित सम्मान समारोह में उन्हें छात्र-छात्राओं, एसोसिएशन के पदाधिकारियों एवं प्रबुद्ध तथा बुद्धिजीवियों ने सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह वाकई में अद्भुत था। समारोह में मौजूद पश्चिम बंगाल वाटर बोर्ड के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. केके भगत, केकेडीएम हाई स्कूल के पूर्व प्राचार्य दिलीप घोष, एक्सिस बैंक के प्रबंधक अभिजीत सरकार, बंगाली एसोसिएशन के मानिक चंद्र देव ने डॉ. मुखर्जी के सम्मान में तारीफों के पुल बांध दिए।
मंच संचालन कर रहे सुदेशना सेन, छात्र आर्यन सिंह, एसोसिएशन के मुकुल भट्टाचार्य, प्रवीर भट्टाचार्य, संतोष कुमार नाग, संजीत मुखर्जी, केसी दास, पंचा सरकार, नईमुद्दीन अंसारी, रितुपर्णा, मिताली, सुरभि, प्रियंका एवं अन्य छात्रों ने डॉ. मुखर्जी के द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें प्रेरणा स्रोत बताया। डॉ. मुखर्जी के द्वारा कोरोना काल में सैनिटाइजर बनाकर 700 लोगों के बीच वितरण, 75 से भी ज्यादा शोध पत्र के साथ चार-चार पुस्तकों का प्रकाशन, 100 से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सेदारी, केकेएम कॉलेज में 14 साल के कार्यकाल में तीन गोल्ड मेडल की उपलब्धियों को चमत्कार बताया।
आयोजित समारोह में वक्ताओं ने डॉ. मुखर्जी को बेहतर शिक्षक, शोधकर्ता, समाजसेवी और प्रेरणा स्रोत बताते हुए उनके दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की। वहीं डॉ. मुखर्जी ने अपने संबोधन में सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने पाकुड़ को हिंदू मुस्लिम एकता का अद्भुत मिसाल भी बताया। उन्होंने कहा कि पाकुड़ वासियों ने मुझे जो स्नेह, प्यार और सम्मान दिया, मैं इसका सदा ऋणी रहूंगा।