समाचार चक्र डेस्क
पाकुड़। पत्थर माफियाओं ने मालपहाड़ी पत्थर उद्योग क्षेत्र में पैसा,पावर और राजनीतिक संरक्षण में जमकर लूट मचाया। प्रशासन और खनन विभाग की उदासीनता भी लूट खसोट की वजह रही। इस लूट में ना सिर्फ जमीन मालिक यानी रैयत लूटे गए,बल्कि इस इलाके में रहने वाले हर गरीब परिवार को पत्थर माफियाओं ने लूटने का काम किया। पत्थर माफियाओं ने रैयत के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार के खजाने में भी सेंध मारी की। पत्थर माफियाओं ने सरकार को अरबों का चूना लगाया। पैसा, पावर और राजनीतिक संरक्षण में इस कदर लूट हुई कि सरकारी जमीन और सड़क को भी मिटा दिया। प्रशासन या खनन विभाग की उदासीनता कहे या मौन सहमति, एक बार भी पत्थर माफियाओं के करतूतों पर नजर नहीं फेरी। जिस वक्त नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए लीज एरिया से बाहर विस्फोट कर सरकारी जमीन और सड़क को उड़ाया जा रहा था, उस वक्त शायद खनन विभाग के अधिकारी गहरी निंद्रा में सो रहे थे। प्रशासनिक और खनन विभाग की उदासीनता ने मालपहाड़ी क्षेत्र के आधे दर्जन से भी अधिक गांवों में लूट मचाने में अहम भूमिका निभाया। इस इलाके के भुस्का, कान्हूपुर, सालबोनी, सालपतरा, खपराजोला, पीपलजोड़ी, राजबांध,खुंटापाड़ा, सुंदरापहाड़ी आदि गांवों में सैंकड़ों फीट गहरी खुले खदानों में गिरकर गरीबों की जान जाने में उस वक्त के खनन विभाग के अधिकारी भी कहीं ना कहीं जिम्मेवार है। आज खदानों की गहराई देख ऐसा लगता है जैसे खनन विभाग ने पत्थर माफियाओं को खुली छुट दे रखी होगी। जिसका पत्थर माफियाओं ने जमकर फायदा उठाया और लूट खसोट की। इधर कई ग्रामीणों ने नाम ना छापने के शर्त पर बताया कि इस लूट में पाकुड़ शहर के कई पत्थर माफिया की सबसे बड़ी भूमिका रही। जिन्होंने पैसा, पावर और राजनीतिक संरक्षण में वर्षों से लूट मचाता रहा है। पैसा, पावर और राजनीतिक संरक्षण से सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया है। आज अगर उस पैसे और पावर वाले पत्थर माफिया के संपत्ति की जांच कराई जाए तो काली कमाई का बड़ा खुलासा हो सकता है। आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हो सकता है। एसीबी की टीम से राज्य सरकार को ऐसे पत्थर माफिया के संपत्ति की जांच करानी चाहिए। वहीं सूत्रों का दावा है कि पत्थर माफिया पर राज्य सरकार की नजर है। शहर के एक पत्थर माफिया को जमीन के किसी मामले में हाई कोर्ट का आदेश भी जारी हुआ है।