ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। दस दिवसीय दुर्गोत्सव मंगलवार को दशमी पूजन के साथ ही समाप्त हो गया। प्रयागराज के पंडित सुनील मिश्र व नागेश मिश्र सहित स्थानीय पुरोहित शंभूनाथ झा और संदीप ओझा ने पूजा सह सभी धार्मिक विधियों व कृत्यों का शास्त्रोचित संपादन किया। दशमी को अपराजिता पूजन हुई। हवन – आरती के बाद कलश विसर्जन हुआ। विसर्जन से पूर्व कलश यात्रा निकाली गई। सैकड़ों की तादाद में शामिल मां दुर्गा के भक्त भक्ति रस में डूब गए। नाचते – झूमते हुए अमड़ापाड़ा उपनगरी का भ्रमण किया। मां के जयकारों से दिशाएं गुंजित हुईं। ग्रामवासी रोमांचित हो उठे। नौ दिनों तक जगतजननी जगदंबा का कठोर संयम व अनुशासन , त्याग व श्रद्धा – भक्ति के बीच संपन्न पूजन – वंदन के बाद कलश विसर्जन पर भक्त भावुक हो उठे।अश्रुपूर्ण नेत्रों से मां को विदा किया। कलश को बासलोय नदी में जलप्लावित करने से पूर्व उन्हें नमन करते हुए क्षमा – याचना की। करबद्ध विनय करते हुए यह फरियाद लगाया कि हे माता ! हम अपराधी हैं। जाने – अनजाने में हुई अपराधों को क्षमा करेना। हमसबों ने अपनी क्षमता के अनुसार अल्पज्ञान के साथ आपकी पूजा – उपासना किया। कुल , समाज , परिवार , राष्ट्र पर अपनी कृपा बनाए रखना। देवी , आप अपना आशीर्वाद बरसाते रहें। हमारे बीच शांति , समृद्धि, त्याग व दया , विकास व स्वस्थ जीवन के रूप में सदा विराजती रहें।प्रसन्नता के साथ फिर अगले वर्ष आएं।
भक्ति जागरण सहित पेंटिंग, रंगोली, नृत्य प्रतिस्पर्धाओं का भी हुआ आयोजन
पूजन के दौरान विभिन्न तिथियों के दौरान भक्ति जागरण का भी आयोजन हुआ। धनबाद के कलाकारों ने दर्शकों का आध्यात्मिक मनोरंजन किया। बच्चों के उत्साहवर्धन और प्रतियोगी प्रेरणा के निमित्त उपरोक्त सभी कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ। सैकड़ों बच्चों ने इस प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया। रंगोली, पेंटिंग व नृत्य में उत्कृष्ठ कला का प्रदर्शन किया। कला की अलग – अलग विधाओं में प्रथम , द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को बुद्धवार को पुरष्कृत किया गया।
पूजा समिति के अध्यक्ष व सदस्यों का रहा अनुपम योगदान
भव्य एवं व्यापक दुर्गा पूजा उत्सव के सफल व सौहार्दपूर्ण आयोजन में अध्यक्ष बबलू भगत की सहभागिता व त्याग अन्य वर्षों की तरह ही सरहणीय रहा। डेढ़ सौ से अधिक सदस्यों ने कर्मठता और निष्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वहण किया। अध्यक्ष के मार्गदर्शन का समग्र अनुपालन कर आयोजन को खास बना दिया। अलावे इसके ग्रामीण व स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी प्रशंसनीय रहा।
