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आठ महीने का साथ, सदियों रहेगा याद

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Gunjan Saha
(Desk Head)

मकसूद आलम/अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। पाकुड़ जिला बने करीब तीस साल हो गए। इतने सालों में पाकुड़ की तस्वीरें भी बदली। तीस साल पहले की तस्वीर और आज की तस्वीरों में काफी बदलाव दिखेगा। तब और अब में फर्क साफ तौर पर देखने को मिल जाएगा। इसमें स्थानीय लोगों का प्रयास कहे या चाहत, जिन्होंने पाकुड़ को सजाने का काम किया। अगर सरकारें और प्रशासन की बात करें, तो पाकुड़ का विकास इनके इच्छा शक्ति के बिना संभव नहीं था। यहां एक बात तो स्पष्ट है कि सरकार, प्रशासन और पाकुड़ वासियों के तालमेल, समंवय या टीम भावना ही है, कि पाकुड़ को पूरे झारखंड में अलग पहचान मिली है।

इतने सालों में कई बड़े अधिकारी आए और चले गए, सभी ने अपने-अपने तरीके से पाकुड़ को आगे लेकर जाने का प्रयास किया। इसी कड़ी में साल 2025 पाकुड़ के लिए प्रशासनिक नजरिए से काफी खास रहा। दो जिला स्तरीय पदाधिकारी के तालमेल ने कुछ ही महीनों में पाकुड़ की तस्वीर को बदल डाला और पाकुड़ को अलग पहचान दिलाई। अलग-अलग जिम्मेदारियां होने के बावजूद हमेशा साथ चले। लगभग हर क्षेत्र में दोनों साए की तरह साथ रहे। एक-दूसरे के काम में दखलंदाजी तो बिल्कुल भी नहीं, पर कह सकते हैं कि जरुरत पड़ने पर साथ जरूर दिखे। इसके पीछे एक ही मकसद था, सिर्फ और सिर्फ पाकुड़ का विकास और पाकुड़ वासियों के लिए भयमुक्त वातावरण, भाईचारा का माहौल, परेशानियों से छुटकारा। दोनों अधिकारी के तालमेल और काम करने की कार्यशैली ने पाकुड़ वासियों को इस तरह प्रभावित किया कि इनकी जोड़ी पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया और जब बिछड़ने का वक्त आया तो पूरा जिला मानो कुछ पल के लिए थम सा गया और मायूसी छा गई।इस आर्टिकल में हम बात कर रहे पाकुड़ डीसी मनीष कुमार और निवर्तमान एसपी प्रभात कुमार की, जिनका साथ महज आठ महीने का ही रहा, जो पाकुड़ वासियों को सदियों तक याद रहेगा। अक्टूबर महीने में मनीष कुमार ने पाकुड़ में 32वें डीसी के रूप में पदभार संभाला।

उन्होंने पदभार संभालते ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने को अपना प्राथमिकता बताया। तब पाकुड़ वासियों को सबकुछ सामान्य सा लगा। आमतौर पर योगदान के बाद पदाधिकारियों की ऐसी प्रतिक्रिया आती रहती है। लेकिन डीसी मनीष कुमार जब रात के अंधेरे में भी गांव की गलियों तक पहुंचने लगे, तब लोगों को लगा कि इनमें कुछ तो खास है। लोगों के मन में पहले जिस तरह की सोच थी अब वह बदलने लगा। लोग डीसी मनीष कुमार की कार्यशैली से तब और ज्यादा प्रभावित होने लगे, जब निवर्तमान एसपी प्रभात कुमार हर मौके पर साथ दिखने लगे। शहर में जाम की समस्या को दूर करने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण, मैट्रिक की परीक्षा में पाकुड़ की ऐतिहासिक सफलता, पर्व त्योहार में सीधे लोगों के बीच पहुंच जाना और भाईचारे का संदेश देना, जनता से खुलकर बात करना, परिवार की तरह समझना, जनता की बातों को मुखर होकर सुनना, सोशल मीडिया के जरिए लोगों में जागरूकता संदेश पहुंचाना, ऐसे सैंकड़ों उदाहरण है, जिससे पाकुड़वासी काफी प्रभावित हुए। पाकुड़ शहर में चाहे डीसी आवास का मदर टेरेसा मोड़ हो या पुराना डीसी मोड़ हो, यहां आए दिन लगने वाली जाम की समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए चौड़ीकरण का जो सफल प्लान बनाया, शायद किसी ने भी सोचा नहीं होगा। यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल गई और जाम की समस्या भी बिल्कुल खत्म हो गई। शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रचने का काम हुआ और पहली बार मैट्रिक की परीक्षा परिणाम में पाकुड़ ने इतिहास रचते हुए पूरे राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया। इस उपलब्धि में पाकुड़ को अलग पहचान दिलाई और पाकुड़ वासियों का सर गर्व से ऊंचा हो गया। जिसकी तैयारी उपायुक्त ने परीक्षा से महज 3 महीने पहले से शुरू की थी। प्रोजेक्ट परख के तहत काम करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े पाकुड़ जिले को 22 में पायदान से दूसरे पायदान लाकर खड़ा कर दिया। उपायुक्त मनीष कुमार के साथ-साथ निवर्तमान एसपी प्रभात कुमार की पूरे जिले में प्रशंसा हुई। एसपी प्रभात कुमार ने छात्रों के सम्मान समारोह में साफ तौर पर कहा कि शिक्षा विभाग में तो उनकी कोई भूमिका ही नहीं है, फिर भी उपायुक्त ने उन्हें साथ रखा और अच्छा लगा कि छात्रों को कुछ टिप्स देने का अवसर मिला। कहने का मतलब साफ है कि शिक्षा के क्षेत्र में भी पाकुड़ को आगे लेकर जाने के मकसद से दोनों अधिकारी साथ-साथ चले। जिसका परिणाम सबके सामने है और पाकुड़ वासी गर्व महसूस कर रहे हैं। पाकुड़ जिला को विकास की ऊंचाई तक ले जाने का जो जज्बा दोनों अधिकारी में दिखा, उसे भुलाया नहीं जा सकता। पाकुड़ को अपना परिवार की तरह ही समझने वाले डीसी मनीष कुमार और एसपी प्रभात कुमार को छात्रों के भविष्य की कितनी परवाह थी, इसका नजारा भी दिख गया, जब मैट्रिक परीक्षा परिणाम की शाम बेला सम्मान समारोह में अपने संबोधन के दौरान बार-बार भावुक हो रहे थे। परिक्षा परिणाम और बच्चों की सफलता पर बोलते हुए दोनों अधिकारी की आंखें भर आती और सिहरन सी महसूस करते। यह पल मौजूद तमाम अभिभावकों, छात्रों और मीडिया कर्मियों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी भावुक कर गया। पर्व त्यौहारों में चाहे ईद हो, रामनवमी हो, सोहराय समाज के बीच पहुंचकर भाईचारा का संदेश पहुंचाया। इसके अलावा दर्जनों ऐसे मौके आए जब डीसी मनीष कुमार और एसपी प्रभात कुमार साथ-साथ दिखें। जिसका वर्णन करना संभव नहीं होगा। इन सबके बीच जब सरकारी प्रकिया के तहत एसपी प्रभात कुमार के धनबाद तबादले की खबर आई, तो पाकुड़ वासियों में निराशा साफ तौर पर दिखा। एक समारोह में 29 मई की शाम निवर्तमान एसपी के रूप में प्रभात कुमार की भव्य सम्मान के साथ विदाई हुई।

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