पाकुड़ । नेताओं की कमजोर इच्छाशक्ति और बिजली विभाग की नाकामी का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
आग उगलती गर्मी में बिजली उपभोक्ताओं का हाल बेहाल है। नेताओं और विभागीय अधिकारियों को उपभोक्ताओं की परेशानियों से कोई मतलब ही नहीं है। नेताओं का 24 घंटे बिजली देने की बातें और बिजली विभाग के नाकाम अधिकारियों की बात बात पर मेंटेनेंस की बातों से आम उपभोक्ता तंग आ चुके हैं।
उपभोक्ताओं को ना नेताओं के बातों पर विश्वास रहा और ना ही बिजली विभाग के अधिकारियों से उम्मीदें बची है। एक दिन की बात हो तो उपभोक्ताओं को समझ में आती है। लेकिन सालों भर हर दिन एक ही तरह की परेशानी समझ से परे हैं। भीषण गर्मी में घंटों बिजली का गायब रहना और हर 10-15 मिनट या आधे घंटे में बिजली का आना जाना उपभोक्ताओं को परेशान कर रखा है। इस साल गर्मी के शुरू होते ही बिजली की वहीं पुरानी आदतें शुरू हो गई।
पिछले बुधवार की ही बात करें तो दिन भर बिजली लगभग गायब ही रही। तपती गर्मी में रात में भी बिजली के लिए लोग हलकान रहे। उपभोक्ताओं के लिए एक और बड़ी परेशानी की बात यह है कि विभाग के कोई भी अधिकारी जल्दी फोन नहीं उठाते हैं। जिससे कि बिजली की स्थिति का उन्हें कम से कम पता चल पाए। आखिर बिजली में सुधार क्यों नहीं दिख रहा है। जबकि हर बार नेताओं और बिजली विभाग के अधिकारियों के द्वारा ठोस आश्वासन दिया जाता है। अब तो उपभोक्ताओं को लगने लगा है कि ना बिजली सुधरेगी और ना नेता और बिजली विभाग के अधिकारी सुधरेंगे। अगर नेता और बिजली विभाग के अधिकारी की इच्छाशक्ति रहती तो यह दिन देखना नहीं पड़ता।
दिनभर तपती गर्मी में बिजली का इस तरह सताना जानलेवा महसूस हो रहा है। उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ रहा है। अगर समय पर स्थिति में सुधार नहीं आया, तो कभी भी सड़क पर उतर सकते हैं। नेताओं और बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ गोलबंद हो सकते हैं।
उपभोक्ताओं का साफ तौर पर कहना है कि तमाम राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर बयानबाजी करते रहते हैं। अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए जनता को मूर्ख बनाते हैं। उपभोक्ताओं के लिए बिजली जैसी समस्या पर कोई पहल नहीं हो रहा है। तमाम राजनीतिक दलों को बिजली की समस्या के समाधान में साथ आना चाहिए। कम से कम इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
यहां बता दें कि ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहर में भी एक जैसी स्थिति है। इधर बिजली विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी सत्यनारायण पातर से दूरभाष पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने एक भी बार फोन रिसीव नहीं किया। जिस वजह से उनका पक्ष यहां नहीं रखा जा सका।