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Maqsood Alam
(News Head)

दशकों बाद भी नहीं हो पाया बेसिक स्कूल की जमीन की घेराबंदी, अतिक्रमण की जद में है भूमि

शराबियों का अड्डा और पशुओं का चारागाह बन चुका है बेसिक स्कूल का खुला मैदान

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Gunjan Saha
(Desk Head)

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ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। बुनियादी विद्यालय (बेसिक स्कूल)मतलब एक खास शिक्षण संस्थान। जिसकी अवधारणा ही मानवकृत शिक्षा पर आधारित थी। अमड़ापाड़ा के बासमती रोड किनारे विद्युत सब स्टेसन के अपोज़िट जिले के इकलौते बेसिक स्कूल का गौरवशाली अतीत समय के साथ क्षीण होती चली गई। अब यह सिर्फ नॉमिनल शिक्षा-दीक्षा का संस्थान बनकर रह गया है। अतीत के इतने महत्वपूर्ण विद्यालय को अपने निर्माण के छह सात दशक बाद भी पक्का बाउंड्री न मिल पाना अपने आप में एक सुलगता सवाल है! जैसी जानकारी है कि इस विद्यालय के पास एक बड़ा भूभाग है, जिसपर जमीन माफियाओं की तिरछी नजर हमेशा बनी रहती है। हाल के वर्षों में कई दफा इसके खुले जमीन को हथियाने की असफल कोशिश हुई है किंतु, स्कूल प्रबंधन के हस्तक्षेप से भूलोलुप अपनी मंशा में असफल रहे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस स्कूल के तीन तरफ सड़क हैं। शाम होते ही इसके खुले मैदान पर यहां तक कि स्कूल के ऑपन बरामदे पर शराबियों का अड्डा लग जाता है। पियक्कड़ों को पीने के बाद जब खुमारी चढ़ती है तो वो बोतल भी वहीं तोड़ देते हैं। वैसे पियक्कड़ जो पीकर भी संयमित रहते हैं वो बोतल तोड़ते तो नहीं बल्कि वहीं छोड़ देते हैं। यही नहीं विद्यालय का खुला मैदान पशुओं का चारागाह बन चुका है। खैर , एक लंबे समय के अंतराल के बावजूद इस स्कूल को चहारीदीवारी से वंचित रखने या इस ओर उदाशीनता के लिए विभाग जिम्मेवार है या प्रशासन, चिंतन का विषय है। चूंकि प्रखंड के कई विद्यालयों की घेराबंदी हो चुकी है जो इसके बाद होनी चाहिए थी। अगर इस स्कूल को एक सुरक्षित बाउंड्री मिल जाती है तो इसकी जमीन अतिक्रमण की जद में नहीं आएगी। किसी भी आउटडोर बड़े शैक्षणिक कार्यक्रम के लिए अन्य स्कूलों को भी एक बड़ा सा स्थान मिल जाएगा। बहरहाल, बेसिक स्कूल की बाउंड्री शिक्षा प्रेमियों की भावनाओं का सम्मान होगा।

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क्या कहती हैं प्रधान शिक्षिका

अनीता मरांडी ने कहा कि बाउंड्री न होने से स्कूल की खूबसूरती बरकरार नहीं रह पाती है। फूल-पौधे या पेड़ पनप नहीं पाते हैं। कक्षा प्रथम से अष्टम तक में अध्ययनरत 285 बच्चे असुरक्षित रहते हैं। खेल-कूद में भी परेशानी होती है। बांस का घेरा नहीं रहता है। ऐसे में विद्यालय के कैम्पस को घेरना या चहारीदीवारी का निर्माण अत्यावश्यक है।

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