पाकुड़-देश और समाज के निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका रही है। एक बेहतर समाज की कल्पना शिक्षा से ही कर सकते हैं और शिक्षा की अहमियत एक शिक्षक से ज्यादा कौन जानता है। शिक्षक छात्रों को ज्ञान देते हैं। पढ़ाते हैं और भविष्य गढ़ते हैं, बच्चों को सही दिशा दिखाते हैं। इसी से एक बेहतर समाज का निर्माण होता है। इसी समाज में कुछ ऐसे शिक्षक भी होते हैं, जो शिक्षा के लिए अपना सबकुछ त्याग देते हैं। तन, मन, धन से, समर्पित भावना से शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं।
सदर प्रखंड के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय गंगारामपुर में कार्यरत प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख उन्हीं शिक्षकों में से एक है। यह विद्यालय भवानीपुर पंचायत में आता है और जानकीनगर गांव से सटा हुआ है। आज विद्यालय की दो मंजिला भवन जिस जमीन पर खड़ी है, वह प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख के त्याग और शिक्षा के प्रति समर्पित भावना का ही नतीजा है। अन्यथा यहां विद्यालय का संचालन शायद संभव नहीं होता।
प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख ने अपना बेशकीमती जमीन उस समय दान में दे दिया, जिस वक्त भवन निर्माण के लिए सरकारी जमीन नहीं मिल रही थी। अगर यह जमीन समय पर नहीं मिलती तो शायद भवन की राशि विभाग वापस कर लेता। लेकिन प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख को यह कतई मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने अपना बेशकीमती दस कट्ठा जमीन स्कूल के भवन निर्माण के लिए दान कर दिया।
प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख बताते हैं कि साल 2002 में यह अभियान विद्यालय के रूप में संचालित होता था। तब तीन शिक्षक कार्यरत थे। एक छोटा सा खपरैल के मकान में स्कूल चलता था। तकरीबन 150 के आसपास बच्चें होते थे। जगह की कमी की वजह से छात्रों को बैठने में परेशानी होती थी। हालांकि उस वक्त मैं स्कूल में नहीं था। यह बिल्कुल ही नया बस्ती हुआ करता था। लोग दूसरे जगहों से आकर यहां बस रहे थे। आसपास स्कूल भी नहीं था। वहीं छात्रों की संख्या निरंतर बढ़ रहा था। आगे चलकर अभियान विद्यालय अपग्रेड होकर उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के रूप में तब्दील हो गया। तब तक साल 2006 में मेरी बहाली हो चुकी थी। भवन निर्माण के लिए अधिकारी जमीन तलाशने लगे। लेकिन कहीं भी सरकारी जमीन नहीं मिला। जिससे असमंजस की स्थिति बन गई।
प्रधान शिक्षक सहाबुद्दीन शेख ने बताया कि जमीन के अभाव में भवन निर्माण में कहीं खलल ना पड़ जाए। मैं सोच में पड़ गया कि अगर भवन नहीं बना तो यहां के बच्चों का क्या होगा। तब मैंने परिवार में बात रखी और सभी ने मेरा समर्थन किया। फिर पहला बार पांच कट्ठा जमीन स्कूल को दान दिया। आगे चलकर फिर से जमीन की जरूरत पड़ी तो पांच कट्ठा जमीन और दे दी। आज वर्तमान में दो मंजिला भवन खड़ा है। जिसमें यहां के गरीब बच्चें शिक्षा हासिल कर रहे हैं। वर्तमान में 250 बच्चों का नामांकन है। तीन शिक्षक कार्यरत हैं। आगे भी स्कूल की बेहतरी के लिए प्रयास करता रहूंगा।