पाकुड़– गुस्से और तुफान से होने वाले नुकसान का पता उसके रुकने के बाद चलता है। इंसान का एक गलत कदम पूरे परिवार को तबाह कर सकता हैं। इसका नजारा शुक्रवार को काशीला गांव में हत्या की घटना के बाद देखने को मिला।
मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कालिदासपुर पंचायत अंतर्गत काशीला गांव में पति दुखिया मुर्मू ने पत्नी बीटी मरांडी की निर्मम हत्या कर दी। घटना के पीछे असली वजह चाहे जो भी रहा हो, लेकिन सब कुछ गुस्से में आकर ही हुआ होगा। जिसके नुकसान का एक पहलू पत्नी की दुनिया से रुखसत होना और दूसरा पहलू आरोपी पति दुखिया मुर्मू का जेल चले जाना। दोनों ही पहलू निश्चित ही दुखद है। इन सबके बीच घटना से एक बड़ा नुकसान चार मासूमों का बेसहारा होना है।
पिता के जेल चले जाने और मां की ममता का साया हमेशा के लिए उठ जाने के बाद चार मासूमों का अब क्या होगा, यह बेहद गंभीर सवाल है। उनकी परवरिश कैसे होगी? कौन इनका सहारा बनेगा? उनके भविष्य का क्या होगा? यह चिंता का विषय बन गया है।
अभी तो ये ठीक से चलना भी नहीं सीखा है। दुनियादारी की समझ बिल्कुल भी नहीं है। पिता मजदूरी कर राशन लाता था और मां भोजन तैयार कर खिलाती थी। अब इनके राशन का जुगाड़ कैसे होगा और भोजन कौन तैयार करेगा। यह सारी बातें उस समाज के लिए है, जहां लोग गुस्से में आकर गलत कदम उठा लेते हैं। अपने ऐसे फैसलों को ही समस्या का समाधान मान लेते हैं।
काशीला गांव की घटना के बाद गांव में मातम पसरा है। हर किसी की आंखें नम है। परिजन और रिश्तेदारों को सदमा पहुंचा है। घर और आसपास में रोने बिलखने की आवाजें गूंज रही है। लेकिन बच्चों को कौन समझाए कि उनकी मां इस दुनिया में नहीं है। मां की ममता अब कभी नसीब नहीं होगा। उनके सिर से मां का साया हमेशा के लिए उठ गया है। मां की हत्या के आरोप में पिता को जेल ले जाया जा रहा है। घटना के बाद से बच्चें गुमसुम सा है। बच्चों की नजर कभी पुलिस के गिरफ्त में खड़े पिता पर जाती, तो कभी आंगन में खटिया पर पड़ी मां को निहारती।
नजारा ऐसा कि मासूम चेहरे किसी को भी रुला दें। परिजन और रिश्तेदार बच्चों को गोद में लेकर लाड़ दुलार रहे थे। परिजन और रिश्तेदारों का लाड़ प्यार तो शायद मिलता रहे, लेकिन मां की वो ममता हमेशा के लिए छीन गया। जिसकी उम्मीद शायद किसी ने नहीं की होगी। पिता भी अब कानून के शिकंजे में है।
इसे भी पढ़े- दुनिया से जाते जाते बहादुर मां ने पेश की ममता का मिसाल, बचाई बच्ची की जान