अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। अनाथ और बेसहारा बच्चों की मां कही जाने वाली एवरेट मिशन की इंचार्ज सुनीता मरांडी के आंचल में चार और बच्चों को ममता की छांव मिल गई है। माता-पिता के जेल चले जाने के बाद बच्चों को एवरेट मिशन चेरिटेबल ट्रस्ट में रखा गया है। ताकि बच्चों को माता-पिता की कमी को दूर किया जा सके और अच्छी परवरिश हो। एवरेट मिशन चेरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक एलेक्स सैम और प्रिंसिपल सुनीता मरांडी बच्चों की परवरिश करेंगे। दरअसल 11 अप्रैल (गुरुवार) को जिले के हिरणपुर थाना अंतर्गत मुर्गाडांगा गांव में एक बुजुर्ग महिला की हत्या हो गई थी। महिला की हत्या का आरोप अपने ही बेटे होपना टुडू उर्फ सिमोन और पुत्रवधू सलगी सोरेन पर लगा था। निर्मम हत्या की घटना की वजह जमीन विवाद बताया गया। पुलिस ने घटना के दिन ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन दोनों को न्यायिक हिरासत में (जेल) भेज दिया गया। आरोपी होपना टुडू और उनकी पत्नी सलगा सोरेन की चार छोटे-छोटे बच्चें हैं। इन बच्चों की उम्र दस साल से नीचे है। वहीं सबसे छोटे बेटे की उम्र महज दो साल है। मिली जानकारी के मुताबिक बड़े बेटे की उम्र दस साल, बेटी आठ साल व छह साल और छोटे बेटे की उम्र दो साल है। माता-पिता के जेल जाने के बाद चारों बच्चों की परवरिश की चिंता प्रशासन को भी खाए जा रही थी। इन बच्चों को यूं छोड़ा भी नहीं जा सकता था। गांव में भी बच्चों की परवरिश की फिक्र रिश्तेदार और ग्रामीणों को सता रही थी। इधर माता-पिता को जेल ले जाया जा रहा था, बच्चें माता-पिता से दूर हो रहे थे। बच्चों की मासूमियत भरी निगाहें सिर्फ उन्हें निहार रही थी। उनके चेहरे पर खामोशी थी। परिवार पर आए विपत्ति से लगभग अनजान बच्चों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। हां बड़ा बेटा और दो बेटियों को थोड़ी बहुत समझ आती भी होगी, लेकिन दो साल का मासूम को यह भी नहीं समझ आ रहा था कि पिता के हाथ में हथकड़ी और कमर में रस्सी क्यों बंधी है। मां को कहां और क्यों ले जाया जा रहा है।यह तस्वीर किसी को भी झकझोर कर देने वाली थी। कानून प्रक्रिया से इतर माता-पिता से बच्चों का बिछड़ना भावुक कर देने वाला था। लेकिन जघन्य कृत्य का सजा भी मिलनी चाहिए थी। इसलिए न्यायालय के आदेश पर दोनों को जेल भेज दिया गया। अब प्रशासन को बच्चों की परवरिश के लिए ऐसे रहनुमा की तलाश थी, जो बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ सके। इसी बीच एवरेट मिशन चेरिटेबल ट्रस्ट की याद आई। इसके बाद बच्चों को जिला मुख्यालय से थोड़ी ही दूर संचालित एवरेट मिशन ले जाया गया। एवरेट मिशन के निदेशक एलेक्स सैम से बात होने के बाद प्रिंसिपल सुनीता मरांडी को बच्चों को सौंप दिया गया। इस दौरान हिरणपुर थाने की पुलिस मौजूद थी।अनाथ बच्चों की मां के रूप में खास पहचान बना चुकी सुनीता ने बच्चों अपने आंचल में समेट लिया।
एलेक्स सैम और सुनीता मरांडी का संक्षिप्त परिचय
एलेक्स सैम और सुनीता मरांडी पति-पत्नी हैं। लंबे समय से एवरेट मिशन में अनाथ बच्चों की ना सिर्फ परवरिश करते आ रहे हैं, बल्कि बच्चों को निःशुल्क शिक्षा मुहैया कर मुख्यधारा से जोड़ने का काम भी करते रहे हैं। अब तक सैंकड़ों बच्चों का भविष्य संवारने का काम कर चुके है। माता-पिता की तरह बच्चों की देखभाल करते है। यहां बताना जरूरी होगा कि एलेक्स सैम खुद भी अनाथ है। उनका बचपन अनाथ आश्रम में बीता है। पत्नी सुनीता मरांडी संग मिलकर अनाथ और बेसहारा बच्चों की परवरिश ही इनकी असली दुनिया है।
एक ही रात में बदल गई बच्चों की जिंदगी
एवरेट मिशन की इंचार्ज सुनीता मरांडी ने कहा कि शुक्रवार शाम करीब सात बजे बच्चों को लाया गया था। इस दौरान छोटा बच्चा काफी रो रहा था। शायद उसे माता-पिता की याद आती होगी। इंचार्ज सुनीता मरांडी ने बताया कि बच्चों के कपड़े बदले गए। फिर सभी को भोजन कराकर सुला दिया गया। अगले दिन सुबह चारों बच्चें जल्दी-जल्दी उठ गए। इसके बाद चाय नाश्ता किया और फिर अन्य बच्चों से मिले। दूसरे बच्चों के साथ पल भर में घुल मिलने लगे। देखते ही देखते बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौटने लगा। फिर खेलने कूदने में व्यस्त हो गए। उन्होंने कहा कि अभी बच्चों की मानसिकता को फॉलो किया जाएगा और फिर धीरे-धीरे उनकी पसंद को भी परखा जाएगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि बच्चें यहां सेटल हो जाएंगे। इंचार्ज सुनीता मरांडी ने जानकारी दिया कि वर्तमान में इन चारों बच्चों को मिलाकर कुल 25 बच्चे हमारे केयर में है।
एलेक्स सैम ने कहा
एवरेट मिशन चेरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक एलेक्स सैम ने कहा कि बच्चों के बारे में मुझे पता चलते ही मन में परवरिश की इच्छा जगी। प्रशासन का आभार व्यक्त करता हूं कि बच्चों की परवरिश के लिए एवरेट मिशन पर भरोसा जताया। मैं और सुनीता मिलकर बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ परवरिश का प्रयास करुंगा।