अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत गोपीनाथपुर सांप्रदायिक हिंसा का छात्रों में खौफ बरकरार है। जिसके चलते छात्रों की उपस्थिति में भारी गिरावट आई है। आमतौर पर गोपीनाथपुर अपग्रेड हाई स्कूल में 80 फीसदी छात्रों की उपस्थिति रहती है। लेकिन घटना के बाद इसमें काफी गिरावट देखी जा रही है। उपस्थिति में गिरावट छात्रों में खौफ बरकरार होने की तस्वीरों को साफ दर्शाता है। प्रधान अध्यापक मंजरुल शेख से जानकारी मिली कि गोपीनाथपुर हाई स्कूल में लगभग 400 छात्रों का नामांकन है। हालांकि अभी भी नए सत्र में नामांकन जारी है। इन 400 छात्रों में से 320 से 330 या इससे भी अधिक छात्रों की उपस्थिति रहती है। लेकिन घटना के बाद से छात्रों की उपस्थिति में काफी ज्यादा गिरावट आई है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि 17 जून बकरीद के दिन स्कूल में छुट्टी थी। इसी दिन सांप्रदायिक हिंसा होती है। अगले दिन 18 जून को स्कूल खुलते है और सारे शिक्षक पहुंचते हैं। लेकिन छात्रों की संख्या काफी कम रहती है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि घटना के दूसरे दिन 18 जून को सिर्फ 67 छात्र ही स्कूल आए। हालांकि सुबह 11:00 बजे के बाद दोबारा मामले ने जब विकराल रूप ले लिया, तो सारे बच्चों को छुट्टी दे दी गई। इसके बाद प्रशासनिक पहल से मामला शांत हो गया। लेकिन छात्रों की उपस्थिति नहीं बढ़ी। घटना के तीसरे दिन 19 जून को सिर्फ 49 और 20 जून को 42 छात्र ही स्कूल पहुंचे। प्रधान अध्यापक मंजरुल शेख ने कहा कि शिक्षा विभाग को माहौल को लेकर लिखित रूप से अवगत कराया गया है। प्रधानाध्यापक ने कहा कि गांव में माहौल सामान्य हो गया है। उन्होंने कहा कि सब कुछ आम दिनों की तरह चल रहा है और शांति है। प्रधान अध्यापक ने गोपीनाथपुर के ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए कहा कि स्कूल के संचालन में ग्रामीणों ने हर तरह से सहयोग किया। किसी भी तरह से स्कूल को कोई भी नुकसान होने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने स्कूल के शिक्षकों का हर तरह से मनोबल बढ़ाने का काम किया। उल्लेखनीय है कि गोपीनाथपुर गांव में ईद की कुर्बानी को लेकर दो समुदायों में हिंसक झड़प हो गई थी। जिसकी आग सीमा से सटे बंगाल के किस्टोनगर गांव तक पहुंच गई। इसके बाद दो दिनों तक लगातार बमबाजी, गोलीबारी, आगजनी और तोड़फोड़ से माहौल गर्म रहा। घटना में बंगाल किस्टोनगर गांव के एक बच्चे की मौत भी हो गई। पाकुड़ के हरिगंज गांव के एक बच्चे के पैर में गोली लगने से घायल हो गया। प्रशासन की तत्परता से माहौल शांत हो गया है। झारखंड और बंगाल प्रशासन तथा बंगाल के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पहल पर मामला को शांत करा दिया गया है। लेकिन छात्रों में खौफ को दूर करना भी जरूरी है। इसके लिए प्रशासन को एक और पहल करने की जरूरत है। ताकि छात्र-छात्राएं बेखौफ होकर शिक्षा हासिल कर सकें।