मकसूद आलम/अबुल काशिम की रिपोर्ट
पाकुड़। साल 2007 में राजनीति का सफर शुरू करने वाले युवा नेता तनवीर आलम आज कांग्रेस पार्टी का जाना-माना चेहरा है। प्रदेश कांग्रेस महासचिव के पद पर काबिज तनवीर आलम ने काफी कम समय में ही अपनी अलग पहचान बनाने में सफलता हासिल की है। भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस में एक सदस्य के रूप में राजनीति का सफर शुरू करने वाले तनवीर आलम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तनवीर आलम की राजनीति शुरू से ही युवाओं पर केंद्रित रहा है। यही वजह है कि युवाओं में उनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा है। भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस में साल 2007 में सदस्य के रूप में राजनीति का सफर शुरू किया। इसके बाद युवाओं को पार्टी से जोड़ने का ऐसा सिलसिला शुरू किया कि अकेले दम पर साल 2008 में राजमहल लोकसभा से 21,000 युवाओं को यूथ का मेंबर बनाया। पाकुड़ प्रखंड के 36 और बरहरवा प्रखंड के 29 पंचायतों का दौरा कर युवाओं को कांग्रेस पार्टी से जोड़ा। तनवीर आलम की मेहनत, उनकी सफलता और युवाओं में लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी ने साल 2011 में उन्हें यूथ प्रदेश का उपाध्यक्ष मनोनीत किया। यहां से उनका कारवां शुरू हुआ और पार्टी में कद बढ़ता ही गया। पार्टी ने यूथ कांग्रेस से उन्हें मेन कांग्रेस में जगह दी और साल 2014 में प्रदेश कांग्रेस सचिव बनाया। इसके बाद साल 2022 में प्रदेश महासचिव बनाए गए। वहीं रामगढ़ जिले का प्रभारी भी बने। इस साल 2023 में पाकुड़ जिला का प्रभारी भी बनाया गया। प्रदेश महासचिव बनाए जाने तथा रामगढ़ और पाकुड़ जिले का प्रभारी बनने के पीछे भी उनकी सफलता की राज छिपी है। दरअसल साल 2014 और 2019 में कांग्रेस को पाकुड़ विधानसभा से बड़ी और रिकॉर्ड जीत मिली थी। वर्तमान में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने दोनों बार जीत हासिल की थी। पार्टी का मानना था कि इस ऐतिहासिक जीत में तनवीर आलम के यूथ ब्रिगेड का बड़ा रोल रहा।
छात्र जीवन से ही राहुल गांधी को फॉलो करते थे तनवीर
कांग्रेस प्रदेश महासचिव तनवीर आलम छात्र जीवन से ही राहुल गांधी को फॉलो करते थे। तनवीर आलम बताते हैं कि राहुल गांधी से ही उन्हें राजनीति में आने की प्रेरणा मिली। पढ़ाई के दौरान राहुल की भाइचारा का सोच और देश सेवा की भावना से मैं काफी प्रभावित हुआ। मुझे राहुल गांधी का नेता बनो या नेता चुनो के नारे ने काफी प्रभावित किया। मुझे राहुल गांधी के विचारों से लगता था कि देश को सही दिशा देने के लिए युवाओं को राजनीति में आना जरूरी है। मैं जब साल 2007 में भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस में सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया, तो राहुल गांधी से प्रेरणा लेकर युवाओं को राजनीति में लाने का प्रयास शुरू किया। मैं गांव-गांव में जाकर युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। युवाओं को लेकर कार्यक्रम चलाएं। धीरे-धीरे युवाओं का पार्टी में जुड़ना ऐसा शुरु हुआ कि पाकुड़ के लिए इतिहास बन गया।एक साल के अंदर राजमहल लोकसभा क्षेत्र से 21,000 युवाओं ने पार्टी की सदस्यता ली। तनवीर आलम ने कहा कि साल 2014 और 2019 में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत में इन्हीं युवाओं का रोल अहम साबित हुआ। तनवीर आलम ने कहा कि राजनीति में आने के बाद पिता आलमगीर आलम ने मुझे राह दिखाई। अभिभावक के तौर पर राजनीति के सफर में चलना सिखाया। मुझे पिताजी से यही सीख मिली कि जनता का सेवा से बढ़कर राजनीति में कुछ भी नहीं है।
जनसंपर्क से बढ़ रही लोकप्रियता
गांवों का दौरा और जनता से सीधे संपर्क में रहना तनवीर आलम की लोकप्रियता की एक बड़ी वजह है। लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं। लोगों की आकांक्षाओं को सरकार तक पहुंचाते हैं। उनकी समस्याओं को उचित प्लेटफार्म पर रखकर समाधान का प्रयास करते हैं। तनवीर आलम बताते हैं कि आम जनता से दूरी बनाकर कभी भी सकारात्मक राजनीति नहीं कर सकते। मेरा मानना है कि जनता के बीच जाकर ही हम सफल राजनीति कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब ही जनता की सेवा मानते है। अगर हम जनता के बीच नहीं जाते हैं, तो उनकी समस्या या जरूरतों को ठीक से समझ नहीं पाएंगे। इसलिए जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनते हैं और समाधान करते हैं। मुझे एक चीज बहुत ही खुशी देती है कि जब कभी भी आम जनता के बीच जाते हैं तो काफी प्यार मिलता है। मुझे जनता का आशीर्वाद मिलता रहा है।
तनवीर आलम की पहचान
प्रदेश कांग्रेस महासचिव तनवीर आलम ग्रामीण विकास मंत्री सह पाकुड़ विधानसभा के विधायक आलमगीर आलम के पुत्र हैं। पैतृक गांव साहिबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड अंतर्गत इस्लामपुर है। तनवीर आलम ने दिल्ली से एमबीए की डिग्री हासिल की है। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई बरहरवा किशोर भारती में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए दार्जिलिंग कर्सियांग गए और पश्चिम बंगाल के मालदा में संत जेवियर स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी होने के बाद रांची मारवाड़ी कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी भी की। रांची यूनिवर्सिटी में कॉमर्स विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे।