कृपा सिंधु बच्चन@समाचार चक्र
पाकुड़-पिछले दो वर्षों से प्रतिदिन स्टेशन परिसर में दो सौ से ज्यादा लोगों को निशुल्क भोजन कराने वाले लुत्फुल हक़ ने ईद की रात त्यौहार के अनुसार अलग तरह का भोजन स्वयं गरीबों की थाली में परोसा बल्कि उनके साथ स्वयं भी भोजन का लुत्फ उठाया।ईद की खुशियों के बीच लुत्फुल जी ने गरीबों की थाली में मटन,मिठाई, खीर,शाकाहारियों के लिए मिक्स भेजटेबुल रोज की खाने की मेन्यू के अलावे परोसा। हँलांकि हर दिन खाने की शुद्धता और अलग मेन्यू का खयाल रखा जाता है, लेकिन त्यौहार चाहे कोई भी हो उसके अनुसार भोजन की भिन्नता और खाश व्यंजनों का खयाल उनके जैसे व्यस्त व्यक्ति के लिए उन्हें और ज्यादा खाश बनाता है।उनका मानना है कि त्यौहार किसी मजहब का नहीं होता,बल्कि पूरे समाज और आवाम का होता है। सिर्फ ईद या बक़रीद में नहीं बल्कि लुत्फुल हक़ रोज बाँटने वाले भोजन में होली, दुर्गापूजा और दीवाली के साथ साथ अन्य त्यौहारों का भी ख्याल रख खाना तैयार करवाते हैं।इन विशेष मौकों पर वे स्वयं भी उपस्थित रह खाना परोसते हैं और साथ ही खाते हैं.ईद की शाम भी इसी खाशियत का दीदार हुआ। यही खास बात उनके समाजसेवा को असाधारण और खाश बनाता है।उनके विषय में लिखने में शब्द कम पड़ जाते हैं।अगर कुछ ज़्यादा गहराई से उनकी खाशियत और मानवीय संवेदनाओं को पढ़ना हो तो कोई भी किसी शाम पाकुड़ रेलवे स्टेशन पर गरीबों की थाली तथा हाथ मे थाली पकड़े व्यक्ति की चेहरों पर उभरी खुशियों की झुर्रियों को पढ़ सकता है। कहते भी हैं कि किताबों से कहीं ज्यादा चेहरों पर संवाद लिखे होते हैं। मैं तो सिर्फ़ इतना कह सकता हूँ कि—” मुझे अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,कोई तुझसा हो तो तुझसा नाम भी रखे।”सचमुच ईद पर लुत्फुल की गरीबों के नाम की थाली से ईदी की ख़ुशियाँ मानो छलक रही थी। और संवेदनशील व्यक्तियों की ये देख कर आँखें भी।

दो वर्षो से निरंतर जारी है निःशुल्क भोजन….
समाजसेवी लुत्फ़ल हक के सौजन्य से रेलवे स्टेशन पर पिछले दो सालों से संध्या का भोजन मुफ्त में परोसी जाती है. रात्रि में गरीब भूखा पेट न सोये इस के लिए भोजन की व्यवस्था कराई गई.लुत्फ़ल हक ने बताया की पाकुड़ एक छोटा शहर है. दूर दराज से जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को भोजन नहीं मिल पाता है. इसी उद्देश्य से निःशुल्क भोजन की व्यवस्था कराई गई है. उन्होंने कहा कभी हम भी इसी स्टेशन पर भूखे पेट सोया करते थे. ईश्वर ने जो हमें दिया है उसे गरीबों में बांट सकूं.इसी लिए भोजन वितरण किया जा रहा है.
