समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़ । जिले में आगलगी की घटनाएं बढ़ रही है। लगातार घटनाएं सामने आ रही है। सदर प्रखंड में एक महीने के दौरान करीब 75 घर जलकर राख हो गए। इधर हाल ही में गंधाईपुर गांव में आगलगी की घटना ने सबको झकझोर दिया। जिसमें करीब पचास गरीब परिवारों का आशियाना जलकर राख हो गया। इसके अलावा झिकरहटी, पातालपुर, इलामी सहित अन्य गांवों में आग ने कई परिवारों को तबाह कर दिया। प्रखंडों में भी आए दिन आगलगी की घटनाएं सामने आई। कुल मिलाकर आगलगी की घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं दिख रही है।
अलग झारखंड राज्य बनने के दो दशक बाद भी जिले में सरकारी व्यवस्था नाकाफी है। अग्निशमन विभाग में संसाधन की घोर कमी है। मैन पावर की कमी के साथ ही विभाग को अन्य संसाधनों की कमी खल रही है। आग बुझाने के लिए विभाग में महज आठ कर्मी ही पदस्थापित है। जिला अग्निशमन पदाधिकारी और सात कर्मचारी ही कार्यरत हैं। केवल दो वाहनों के भरोसे विभाग को काम करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं तेल भी अग्रिम उपलब्ध नहीं रहता है। विभाग को जरुरत पड़ने पर तेल उधार लेकर काम चलाना पड़ता है।
यह सिर्फ जिला मुख्यालय में ही उपलब्ध है। प्रखंडों में तो अग्निशमन विभाग की कोई शाखा कार्यरत नहीं है। आग बुझाने के लिए जिला मुख्यालय से ही कर्मियों को वाहन लेकर जाना पड़ता है। इसका खामियाजा सीधे तौर पर पीड़ितों को उठाना पड़ता है। उन्हें समय पर सेवा नहीं मिल पाता। जब तक कर्मी वाहन लेकर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। अग्निशमन विभाग की सेवा पहुंचे, इससे पहले ही सबकुछ बर्बाद हो चुका होता है। अग्निशमन विभाग में संसाधनों की कमी से विभागीय अधिकारी खुद परेशान है।
हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सीमित संसाधनों में ही बेहतर सेवा देने का हर संभव प्रयास किए जाते हैं। इधर जिला अग्निशमन शमन पदाधिकारी रविंद्र ठाकुर ने कहा कि उपलब्ध संसाधन में ही बेहतर सेवा देने का प्रयास करते हैं। विभाग के तमाम कर्मी काफी मेहनती हैं। जिला से कहीं से भी आग लगने की खबर मिलते ही दौड़ पड़ते हैं। फिलवक्त आग से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।