अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। मुस्लिम समुदाय का पवित्र पर्व ईद उल अजहा 17 जून को मनाया जाएगा। ईद उल अजहा को बकरीद के रूप में भी जाना जाता है। यह मुस्लिम समुदाय के ईद की दो बड़े पर्व में से एक हैं। पहला ईद उल फितर और दूसरा ईद उल अजहा का पर्व मनाते हैं। ईद उल अजहा यानी बकरीद में इस्लाम में जायज जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। ईद के दिन सुबह विशेष नमाज अदायगी के बाद जानवरों की कुर्बानी देते हैं। इधर बकरीद को लेकर तैयारी चरम पर हैं। लोग अपने-अपने हिसाब से खरीदारी कर रहे हैं। कुर्बानी के लिए विशेष तौर पर खस्सी की खरीदारी खूब हो रही है। इसके अलावा कपड़ों की खरीदारी भी जमकर की जा रही है। ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा करने को लेकर कमिटियों की ओर से विचार विमर्श का दौर जारी है। वहीं बारिश की संभावनाओं को लेकर भी चर्चाएं हो रही है। अगर मौसम ठीक-ठाक रहा, तो ईदगाहों में नमाज अदा की जाएगी। अगर मौसम ठीक नहीं रहा और बारिश हुई, तो मस्जिदों में नमाज पढ़ी जा सकती है। इस मामले में मस्जिद और ईदगाह कमेटी चिंतन कर रही है। इधर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हजरत इब्राहिम अल्लाह के आदेश पर अपने प्रिय पुत्र हजरत इस्माइल को कुर्बान कर रहे थे। अल्लाह ने उनके सही जज्बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दिया था और उसकी जगह एक बकरे की कुर्बानी दी गई थी। यह कहा जाता है कि तभी से बकरीद का त्यौहार मनाया जाने लगा।