ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। भोले-भाले बेरोजगार व गरीब आदिवासियों को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन देकर नेटवर्किंग मार्केटिंग के जरिए लाखों रुपए ऐंठकर चंपत हो जाने वाली राष्ट्रीय युवा जागरूक नामक संस्था को लोग ढूंढ रहे हैं। इस नाम की संस्था है भी या नहीं ? अगर है तो वैध या अवैध ? संस्था का कोई दफ्तर या स्थाई ठिकाना दुमका, पाकुड़, साहेबगंज या अगल-बगल में है या नहीं ? रुपए वशूलने वाले तथा झूठे प्रलोभन देने वाले इसके पदाधिकारी संदीप पंदन हैं तो आखिर कहां ? आदि कई सवालों के जवाब इससे जुड़कर साल-डेढ़ साल से कार्य करने वालों को भी पता नहीं। जब संस्था से जुड़े सदस्यों को यह महसूस हुआ कि हमलोगों से ठगी हुई है तब इनके होश पाख्ता हो गए हैं।
जानें क्या है पूरा मामला
अमड़ापाड़ा सहित बरहेट ( साहेबगंज) प्रखंड के विभिन्न गांवों की रहनेवाली पानमुनी किस्कू, निरोला टुडू, सुशांति किस्कू,पुसाना मूर्मू, सोनामुनी पहाड़िन,लीली मरांडी, बहामुनी टुडू,अनीता किस्कू, मेरी मूर्मू सहित बर्नवास सोरेन आदि की मानें तो ये सभी उल्लिखित संस्था के सदस्य अथवा विभिन्न पदों पर कार्यरत छोटे पद धारक हैं। इनके बीच संदीप पंदन नामक युवक का आना-जाना अक्सर होता रहता था। इस युवक ने इन बेरोजगारों को विभिन्न सुविधा दिलाने और आईडी ईशू करने के नाम तीन-तीन हजार वशूलने का टिप्स दिया। उसके बातों में आकर इन सबों ने सैकड़ों ग्रामीणों से तीन-तीन हजार रुपए यानि लाखों की राशि वशूली और समय-समय पर संदीप पंदन नामक युवक अथवा संस्था के खाते में भेज दिया। जब इन बेरोजगारों ने अपने निर्धारित कमीशन या सुविधा की मांग शुरू की तो इन्हें टरका दिया गया। जब तक इन्हें ये समझ में आया कि हम ठगे गए हैं या हमारे साथ फर्जीवाड़ा हुआ है तबतक देर हो चुकी थी। अब न तो संदीप पंदन इनके बीच आता है और न ही फोन पर संपर्क ही करता है।
अनुदानित लॉन देने के नाम भी लाखों रुपए की हुई है ठगी
उल्लिखित संस्था सदस्यों ने यह भी बताया कि रोजगार के नाम अनुदानित लॉन दिलाने के नाम हमलोगों ने लाखों रुपए दिए। अब न तो लॉन मिल रहा है और न ही राशि की वापसी ही हो रही है।
संस्था ने विभिन्न सुविधाएं देने का किया था झूठा वादा
बताया कि संस्था ने बेरोजगार आदिवासी युवक-युवतियों को बिना व्याज लॉन, घर या फ्लैट , आजीवन पेंशन, बच्चों को फ्री कोचिंग या ट्यूशन,चार लाख रुपए का मुफ्त सालाना चिकित्सीय सुविधा का सब्जबाग दिखाया। यही नहीं यदि किसी संस्था सदस्य के साथ अनहोनी हो जाती है तो उसके आश्रितों को मोटाआर्थिक लाभ देने का झूठा प्रलोभन दिया। अब जब सदस्यों को ये सब कुछ हवा-हवाई होता दिखा तो ये यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अपने रिश्तेदारों, मित्रों, पड़ोसियों से ली गई राशि को अब लौटाएंगे तो कैसे? उन्हें जवाब देंगे तो क्या?