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Maqsood Alam
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दीक्षांत समारोह में सम्मानित होंगी पाकुड़ की बेटी मानसी, गोल्ड मेडलिस्ट घोषित

वनस्पति विज्ञान की छात्रा है मानसी,शोध कार्य के लिए तीन-तीन बार हो चुकी है पुरुस्कृत

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Gunjan Saha
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अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। देश की सबसे निचले पायदान पर खड़ी पाकुड़ की एक और बेटी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। महेशपुर ब्लॉक के सिलमपुर गांव की साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली वनस्पति विज्ञान की छात्रा मानसी सिंह गोल्ड मेडलिस्ट घोषित की गई है। कई शोध कार्य के लिए तीन-तीन बार पुरस्कार हासिल करने वाली मानसी सिंह गोल्ड मेडलिस्ट की इस उपाधि के लिए सत्र 2021-24 के लिए नामित की गई है। इसे सरल शब्दों में कहें तो मानसी सिंह को सिद्धू-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के बीएससी बॉटनी सत्र 2021-24 की गोल्ड मेडलिस्ट घोषित किया गया है। यहां बताना जरूरी होगा कि दीक्षांत समारोह का आयोजन 17 नवंबर 2025 को सिद्धू-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में आयोजित होना है। जिसमें झारखंड के राज्यपाल शामिल होंगे। उनके साथ राष्ट्रपति द्रपति मुर्मू के भी शामिल होने की संभावनाएं हैं।

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केकेएम कॉलेज की छात्रा रह चुकी है मानसी

मिली जानकारी के मुताबिक मानसी सिंह केकेएम कॉलेज की छात्रा रह चुकी है। उन्होंने इसी कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की है। केकेएम कॉलेज से ही वनस्पति विज्ञान में ग्रेजुएशन कंप्लीट की है। मैट्रिक की पढ़ाई महेशपुर से की है। मैट्रिक में मानसी को 86.8 प्रतिशत अंक हासिल हुआ था। इंटर की पढ़ाई एसकेएम कॉलेज महेशपुर राज से की है।इंटर में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई थी।

माता-पिता को किया गर्वित

मानसी सिंह ने पाकुड़ जिला का नाम रोशन करने के साथ-साथ अपने गांव सिलमपुर का नाम भी रोशन करते हुए अपने माता-पिता को गर्वित किया है। बेहद ही सरल और शिक्षित परिवार से आने वाले पिता साधन सिंह और माता अनामिका सिंह बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश नजर आ रहे हैं। उनकी नानी दीपाली सिंह और बड़ी बहन सुष्मिता सिंह भी बेहद खुश हैं। दंत चिकित्सा में स्नातक सुष्मिता सिंह छोटी बहन की इस उपलब्धि से काफी खुश हैं।

प्रोफेसर बनकर शिक्षा व अनुसंधान का सपना

पाकुड़ जिला एवं महेशपुर प्रखंड को गौरवान्वित करने वाली मानसी सिंह को प्रोफेसर बनकर शिक्षा और अनुसंधान की तमन्ना है। उनका सपना है कि भविष्य में प्रोफेसर बनकर शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान दे।

इन्हें दिया सफलता का श्रेय

उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपनी नानी दीपाली सिंह, पिता साधन सिंह, माता अनामिका सिंह, मौसी आनंदिता सिंह तथा बड़ी बहन सुष्मिता सिंह को दी है। अपने मार्गदर्शक केकेएम कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ प्रसनजीत मुखर्जी का खास तौर पर आभार व्यक्त किया है। डॉ मुखर्जी के साथ-साथ डॉ जायना मरांडी एवं डॉ अमर कुमार दास का भी आभार जताया है।

डॉ प्रोसेनजीत मुखर्जी ने मानसी को बताया प्रेरणा स्रोत

केकेएम कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ प्रसनजीत मुखर्जी ने कहा कि मानसी सिंह विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। केकेएम कॉलेज ही नहीं, पूरे दुमका यूनिवर्सिटी या यू कहे की पूरे झारखंड के लिए प्रेरणा स्रोत है। डॉ मुखर्जी ने कहा कि मानसी सिंह के साथ सबसे अहम और खास बात यह है कि उन्होंने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की है। अपनी पूरी शिक्षा सरकारी संस्थानों से और हिंदी माध्यम में पूरी की है। डॉ मुखर्जी ने बताया कि मानसी सिंह वर्तमान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय दुमका से एमएससी बॉटनी में अध्यनरत हैं।

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