समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़ । झारखंड राज्य अलग होने के बाद या फिर संयुक्त बिहार में भी जन वितरण प्रणाली हमेशा से विवादों में रहा है। यूं कहें कि जन वितरण प्रणाली और विवादों में चोली दामन का रिश्ता रहा है।
यह अक्सर देखा गया है कि गरीबों के राशन में डीलरों की नजर रहती है। गरीबों के हक के अनाज में सेंधमारी कोई नई बात नहीं है। जिला मुख्यालय की बात करें या फिर प्रखंडों की, अक्सर अनाज वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें आती रही है।
इधर डीसी वरुण रंजन इस मामले में पूरे एक्शन में दिख रहे हैं। डीसी के एक ही एक्शन में राशन डीलरों की पोल खुल गई है। पिछले 10 मार्च को एक साथ 66 दुकानों के निरीक्षण में डीलरों की हरकतों ने हैरान कर दिया है। जिसमें अनुज्ञप्ति निर्गत स्थल से दूसरी जगह दुकान का संचालन, पावती रसीद नहीं देने, निर्धारित मात्रा से कम राशन देने की बातें सामने आई है।
वहीं कुछ दुकानदारों को नियमों की धज्जियां उड़ाते भी पाया गया है। जिसमें सूचना बोर्ड अंकित नहीं होना सहित अन्य गलतियां पकड़ी गई है। डीसी ने ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। निलंबन और स्पष्टीकरण के साथ ही लाइसेंस रद्द करने की भी कार्रवाई की जा रही है। इस कार्रवाई से एक बार फिर राशन डीलरों के द्वारा की जा रही मनमानी की शिकायतों पर मुहर लग गई है।
दरअसल डीसी वरुण रंजन के निर्देश पर जन वितरण प्रणाली दुकानों के निरीक्षण को लेकर 16 अलग-अलग टीम गठित किया गया था। गत 10 मार्च को गठित टीम अलग-अलग 16 पीडीएस दुकानों का औचक निरीक्षण किया। जिसमें निर्धारित मात्रा से अनाज कम देने, पावती रसीद नहीं देने, अनुज्ञप्ति स्थल के बदले दूसरे स्थल पर दुकान चलाने, बोर्ड अंकित नहीं करने आदि गड़बड़ियां पकड़ी गई।
निरीक्षण में मिली गड़बड़ियों को लेकर 25 पीडीएस दुकानदारों के संचालकों को शो कॉज किया गया है। इसमें से 19 पीडीएस दुकानों के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई की जा रही है। वहीं एक दुकान की अनुज्ञप्ति रद्द की कार्रवाई हो रही है। यहां बताना जरूरी होगा कि निरीक्षण में 13 दुकान बंद पाए गए। जिन्हें स्पष्टीकरण पूछा गया है। एक दुकान का संचालन अनुज्ञप्ति स्थल से दूसरा स्थान पर किया जा रहा था। वहीं 4 दुकानदारों के द्वारा पावती रसीद नहीं देने की शिकायत मिली थी। जबकि दो दुकानों के द्वारा निर्धारित मात्रा से कम राशन देने की बात सामने आई। इसके अलावा 5 दुकानों में सूचना बोर्ड अंकित नहीं किया गया था। वहीं 41 दुकानों में भी छोटी-छोटी गलतियां पाई गई थी।
अनाज गोदामों के निरीक्षण से भी खुल सकती है पोल
अनाज गोदामों के निरीक्षण से भी पोल खुल सकती है। जिसमें एक बड़ा घोटाला होने का अंदेशा जताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक स्टॉक और आवंटन पंजी सहित अन्य दस्तावेज की सही जांच से गोदाम के अधिकारी और कर्मियों की करतूतें सामने आ सकती है। इसमें अधिकारी और कर्मियों के अलावा भेंडर का भी पोल खुल हैं। एक बार इमानदारी से आवंटन और स्टॉक का मिलान से बड़े घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।
अनाज कालाबाजारी का भी हो सकता है पर्दाफाश
कई अनाज माफियाओं के भी पोल खोल सकती है। जिनके माध्यम से अनाज की कालाबाजारी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अनाज कालाबाजारी में कई डीलर भी शामिल हैं। जिसमें संग्रामपुर, चांदपुर, तारानगर पंचायत के माफियाओं के शामिल होने का दावा सूत्रों की ओर से किया जा रहा है।
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