समाचार चक्र डेस्क
पाकुड़। लिट्टीपाड़ा थाना क्षेत्र के हाथीगढ़ में रैयतों ने फिर से अवैध खनन का विरोध शुरू कर दिया है। पिछले दिनों रैयतों और पट्टाधारकों के बीच सफल वार्ता की खबरों को रैयतों ने सिरे से खारिज कर दिया है। जिसमें कहा गया था कि रैयतों और पट्टाधारकों के बीच बैठक में सफल वार्ता के बाद काम शुरू कर दिया गया है।
रैयतों का साफ कहना है कि ऐसी कोई वार्ता या समझौता नहीं हुआ है। इधर रैयतों के साथ लगातार खड़े सहायक प्रोफेसर निर्मल मुर्मू ने कहा कि वर्तमान समय में पाकुड़ का हाथीगढ़ गांव चर्चा का केंद्र बना हुआ है। और बने भी क्यों नहीं, क्योंकि यह गांव जेएमएम के बड़े नेताओं का गढ़ माना जाता था और अभेद्य किला की तरह यहां इन लोगों का शान शौकत और कारोबार चलता था। लेकिन आज भी अपने ही गढ़ में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यहां पिछले एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से क्रशर और खदान बंद पड़ा है। रैयतों ने अपनी मांग को लेकर सारा काम ठप किया है। बीच में अचानक खबर मिला था कि कंपनी और रैयतों के बीच आम सहमति बन गई है। इसलिए फिर से काम शुरू किया गया है। लेकिन हाथीगढ़ के रैयतों ने फिर से चुड़का गाड़ कर विरोध जताया और कहा कि हमारे साथ किसी प्रकार का कंपनी के साथ कोई समझौता नहीं बना है। इसलिए हम लोग अपनी मांगों को लेकर अडिग है। उन लोगों कहा कि कंपनी यहां के लोगों को खरीदने के लिए एड़ी चोटी का प्रयास कर रही है। लेकिन हम लोग अपनी मांगों पर अडिग है।
कंपनी के बिचौलिया पैसे और गुंडे के बल पर यहां जबरन काम चालू करना चाहती है। लेकिन हम लोग कामयाब नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि माफियाओं ने दारोगा जाबाई मरांडी के जमीन को भी जबरन खोद डाला है। निर्मल मुर्मू ने कहा कि दारोगा जाबाई मरांडी हाथीगढ़ गांव के रैयत है और वर्तमान समय में टाटा के बागबेड़ा थाना में छोटा बाबू के पद पर कार्यरत है। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा कि मुझे नौकरी के वजह से घर आने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता, इस बीच माफियाओं ने मेरा जमीन भी जबरन खोद डाला। मैं इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। निर्मल मुर्मू ने यह भी कहा कि रैयतों के साथ आज भी गांव के युवा बाबुधन टुडू, छोटो हांसदा, राम टुडू आदि डटकर खड़े हैं। बाबुधन टुडू ने कहा कि यहां पर रैयतों को गुमराह कर अवैध तरीके से क्रशर संचालित किया जाता है और पत्थर उत्खनन किया जाता है। रैयतों से औने पौने दामों में जमीन लिया गया है। कहीं लीज तो कहीं लीज से बाहर पत्थर उत्खनन किया गया है। पुरातन पतीत जमीन पर अवैध तरीके से पत्थर उत्खनन किया जाता है। जमीन मालिकों को पार्टनरशीप में नहीं रखा जाता है और न ही समझौते की राशि ठीक से दिया जाता है। यहां पर वायू प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण चरम पर है। ग्रामीणों ने इस संबंध में एक वीडियो भी जारी किया है। प्रो. निर्मल मुर्मू ने कहा कि मैं शूरू से ही रैयतों के समर्थन में लगातार सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख रहा हूं। मैं हमेशा से समाजिक कार्यकर्ता के रूप में आम जनता के साथ खड़ा रहा हूं। मैंने लगातार शोषित और वंचितों की आवाज को बुलंद किया हैं। हाथीगढ़ गांव लगातार मेरी नजर में बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हाथीगढ़ गांव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के द्वारा रैयत और ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जा रहा है। कंपनी, बिचौलिया और उनके गुंडों के द्वारा जबरन जमीन मालिकों को रगड़कर काम शुरू करना चाहती है। जब तक जमीन मालिकों को न्याय नहीं मिलता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि यहां फर्जी तरीके से क्रशर और खदान संचालित किया जाता है। सरकार को भी करोड़ों का चुना लगाया गया है। इसलिए यहां उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। आंदोलन में मोहन किस्कू, कार्तिक हेंब्रम, भुतू हेंब्रम, शनिचर हेंब्रम, बिसू किस्कू, लेलशन हेंब्रम, राजू सोरेन, मंगल टुडू, योगेश हांसदा आदि रैयत तथा ग्रामीण शामिल हैं। इधर संबंधित पट्टाधारकों से संपर्क नहीं होने पर यहां उनका पक्ष रखा नहीं जा सका।