ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। पेयजल की किल्लत का निदान यहां की ज्वलंत समस्या है। इस समस्या का स्थायी और दूरगामी हल कैसे निकले सिस्टम को गंभीरता से सोचना चाहिए। यह पब्लिक की बुनियादी परेशानी है। जल के बिना जीवन संभव नहीं। उल्लेखनीय है कि 15 सौ परिवारों को प्रदूषण मुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों की लागत राशि से बना अमड़ापाड़ा का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी फेल है। यह लक्षित परिवारों को पहले भी पानी नहीं दे सका और मौजूदा हालात में भी जल उपलब्ध कराने में विफल है। मसलन, यदि बासमती पंचायत के रेंगा टोला की बात की जाय तो यहां करीब दो सौ की संथाल आबादी एक मात्र चापानल पर आश्रित है। ऐसे में यहां के युवकों की प्रतिक्रिया ली गई तो ये बात सामने आई।
गंगाराम मरांडी– कहा कि 40 परिवारों का यह टोला शुद्ध पेयजल की उपलब्धता से महरूम है। एक मात्र चापानल के सहारे ग्रामीण काम चला रहे हैं। मुखिया इस टोले में आजतक एक सोलर चालित वाटर प्लांट भी नहीं लगा पाए। सिर्फ ग्रामीणों को भरोसे की घूंटी पिलाते रहे।
निरोज हेंब्रम– पेयजल यहां की पुरानी समस्या है।न तो प्रशासन गंभीर है और न ही जन प्रतिनिधि। इस दिशा में साकारात्मक पहल होना चाहिए।
सरोज हेंब्रम– अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पानी टोले में नहीं आती।पूर्व में यदि कभी-कभार पानी आती भी तो प्रदूषित
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मदन टुडू– कहा कि पेयजल का निदान न होना दुर्भाग्य की बात है। हमलोग बड़ी मुश्किल से पानी का जुगाड़ कर पाते हैं। ग्रामीणों को हर हाल में पर्याप्त पानी चाहिए। अन्यथा, व्यवस्था से भरोसा टूट जाएगा।
बहरहाल, यही नहीं। इस टोले में बिजली आपूर्ति भी अक्सर बाधित रहती है। ग्रामीणों ने बताया कि हमलोगों को शहरी बिजली की जगह ग्रामीण बिजली की आपूर्ति होती है। बिल शहरी बिजली का भरना पड़ता है। केरोसिन तो अब मिलता नहीं। छात्रों की स्टडी बाधित होती है चूंकि जब लोग खा-पीकर सोते हैं तब बिजली आती है। इस समस्या का समाधान भी होना चाहिए