ललन झा@समाचार चक्र
पाकुड़। सनातन सभ्यता व संस्कृति का पवित्र त्योहार दशहरा, दुर्गापूजा या शारदीय नवरात्र का पवित्र त्योहार 15 अक्टूबर यानी आज से शुरू हो जाएगी। अश्विन महीने के प्रतिपदा से आरंभ होने वाला यह त्योहार कलश स्थापन के साथ ही मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के पूजन के साथ आरंभ हो जाएगी। पूरे जिले में भव्य तैयारी की गई है। वहीं अमड़ापाड़ा में स्थानीय वैष्णवी दुर्गा मंदिर में पूजा के भव्य व आकर्षक आयोजन के निमित्त यह वर्ष और भी खास है। चूंकि मां के मंदिर की स्थापना का यह शताब्दी वर्ष है। करीब 12 लाख रुपए व्यय किए जाने की सूचना है। पश्चिम बंगाल के दक्ष मूर्तिकार द्वारा मां की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रयागराज के जानकार पंडित आचार्य सुनील मिश्र व नागेश मिश्र पूजा को वैदिक रीति से संपन्न कराएंगे। करीब 5 हजार वर्गफीट के भव्य पंडाल को भी अंतिम शक्ल दिया जा रहा है। मंदिर प्रशाल सहित इस कोलनगरी के मुख्य सड़क को बेहतर साउंड व लाइटिंग सिस्टम से सजाया जा रहा है। श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। वहीं सुरक्षात्मक नजरिए से मंदिर परिसर व पंडाल में सीसीटीवी कैमरे व अग्निशमन सुविधा भी बहाल की जा रही है। ये तमाम धार्मिक कृत्य एवं महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों का निर्वहन मां के प्रति समर्पित सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष संजीव कुमार उर्फ बबलू भगत व समिति के उत्साही सदस्यगण एवं ग्रामीणों के दक्ष नेतृत्व में हो रहे हैं।
शारदीय नवरात्र के दौरान दुर्गा के नौ स्वरूपों का होता है पूजन व वंदन
प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा से यश व मान- सम्मान में वृद्धि , चतुर्थ रूप चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों में एकाग्रता आती है। वहीं चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा से मन व हृदय में दया का भाव आता है। पंचम रूप स्कंदमाता के पूजन- वंदन से भक्तों को जीवन में सफलता या कामयाबी मिलती है।छठे रूप कात्यायनी की अर्चना से बाधा व कष्टों से छुटकारा मिलता है। सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं या विरोधियों पर विजय प्राप्त होता है। अष्टम रूप शांत व मृदुल स्वभाव वाली महागौरी का है जो भक्तों को ऐश्वर्य देती हैं तथा शारीरिक, मानसिक व सांसारिक तापों का हरण कर लेती हैं। नवम स्वरूप सिद्धिदात्री का है जिसे दुर्गा का पूर्ण स्वरूप कहा जाता है। इनकी पूजा व आराधना से भक्तों को संपूर्ण नवरात्रि की उपासना का फल मिलता है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को सिद्धि व विजय दिलाती हैं।