ललन झा@ समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। महाशिवरात्रि हिंदूओं का महान त्योहार है। दो दिनी इस त्योहार में देवाधिदेव भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-स्तुति होती है। श्रद्धालू भक्तों का हर -हर महादेव के जयकारे से माहौल शिवमय हो जाता है। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। ऐसे में इस पर्व के पहले दिन विवाह से संबंधित सभी रश्में पूरी होती हैं। सभी धार्मिक कृत्यों का संपादन होता है। महाशिवरात्रि को लेकर बाजार और थाना सहित पार्क स्थित शिव मंदिरों को सजाया गया। बुधवार को भक्तों की भीड़ मंदिरों में दिखी। सबों ने भगवान शिव और पार्वती की आराधना किया। उनपर जल और दूध का अभिषेक किया। शाम में शिव बारात निकाली गई। स्थानीय शिवालय से शंकर-पार्वती, असुर और भूत पिशाचों की आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं। रात को मंदिरों में उनका विवाह संपन्न हुआ। उत्साही युवकों व ग्रामीणों ने शिवरात्रि को संपन्न कराने में अपना अमूल्य समय दिया।
भगवान शिव वैराग्य त्याग वैवाहिक बंधन में बंधे थे
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव ने वैराग्य जीवन का त्याग किया था, पार्वती के साथ वैवाहिक बंधन में बांधकर गार्हस्थ्य जीवन में प्रवेश किया था। इस अवसर पर असुर और देवता सभी उनके बारात में शामिल हुए थे। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से भक्तों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। विवाहित लोगों को अच्छे वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। महादेव के इस नृत्य को उतपत्ति और विनाश के रूप में देखा जाता है। इस तिथि को रात में उनकी पूजा-उपासना से साधकों को उनकी कृपा प्राप्त होती है। भक्तों को सुख और समृद्धि मिलता है।
