पाकुड़ । कोई उस गाँव की गलियों में घूम आये तो, सिहर उठेगा दिल। नियति क्रूर अट्टहास करती करती हुई आई और आँसुओं का सैलाब दे गई।
रविवार दोपहर बाद जाने किस गली से दहकते आग की लपटों ने पाकुड़ प्रखंड के गंधईपुर गांव में लगभग 30 से 40 घरों के एक पूरे महल्ले को अपनी आग़ोश में ले लिया। हर ओर विनाश का तांडव करती क्रूर लपटों ने कितने सपनों को खाक कर दिया। आशियानों के साथ मेहनत से कमाए- बनाए सामानों को मिट्टी में मिला गया आग। गर कुछ छोड़ गया तो राख़ में विनाश की निशानियां और आँखों में आँसुओं की धार, स्थानीय लोगों और प्रशासन के साथ अग्निशमन दस्ता के जवानों ने आग पर काबू तो पाया, लेकिन काफ़ी देर हो चुकी थी।
इधर पाकुड़ के चर्चित समाजसेवी लुत्फ़ल हक आगलगी की घटना की खबर सुनते ही गंधाईपुर गांव अकेले पहुंच गए। एक- एक पीड़ित परिवार से मिले और स्थानीय मसूद सेख, महबूब सेख और कई लोगों को तुरन्त सर्वे करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कितना परिवार को मदद की जरूरत है। सर्वे में कितने बच्चा, कितने वृद्ध और कितनी बच्चियां है ताकि सभी को कपड़ा दिया जा सके। हालांकि रमजान के पाक महीने में पीड़ितों को तत्काल सहयोग के तो कई हाथ आगे बढ़े हैं, लेकिन मेहनतकश गरीब मजदूर वर्ग के लोग अपने और बच्चों के आँसू देख सिर्फ़ यही पूछ रहे हैं कि “क्या क़िस्मत ने इसलिए चुनवाये थे तिनके, कि बन जाये नशेमन तो कोई आग लगा दे !
सोमवार को समाजसेवी लुत्फ़ल हक ने प्रत्येक पीड़ित सभी परिवार को कपड़ा, एक- एक बोरी चावल, सेवई, पियाज, दाल, सरसो तेल, मसाला सहित कीमती राशन उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा जब भी जरूरत पड़ेगी मेरा नम्बर रखें मैं जरूरत का समान उपलब्ध कराऊंगा।
उल्लेखनीय है कि लुत्फ़ल हक पाकुड़ जिले के अलावे साहेबगंज और पश्चिम बंगाल के धूलियान और फरक्का क्षेत्र में लगातार गरीबों के बीच राशन आदि वितरण कर रहे हैं। जिनकी चर्चा चहुँओर है। फरक्का इंडियन रेड क्रॉस सोसाईटी ने उनके सम्मान में कार्यक्रम आयोजित कई सम्मान से नवाजा है। लुत्फ़ल हक सम्मान में एक शानदार नाटक मंचन भी किया गया था।