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Maqsood Alam
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पत्थर माफियाओं को ईडी या प्रशासन का डर नहीं, चेकनाका कर्मियों की मिलीभगत से बिना माइनिंग चल रही वाहनें

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

कोटालपोखर। कोटालपोखर थाना क्षेत्र के पत्थर माफियाओं में ना तो इडी का खौफ और ना ही जिला प्रशासन का डर दिख रहा है। वर्तमान समय में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या बन चुका है। यह एक ऐसा कारण है जो किसी भी राष्ट्र की तरक्की में बाधक बन जाता है। यदि हमें भारत को विकसित देश बनाना है, तो भ्रष्टाचार रुपी इस दानव का खात्मा करना बहुत आवश्यक है। परन्तु कोटालपोखर के निरंकुश पत्थर माफियाओं के सामने ना कोई नियम है और ना कोई कानून है।क्यूंकि इन्हे बस अवैध कार्य के माध्यम से रुपए जो कमाना है। उपायुक्त साहिबगंज द्वारा जिला टास्क फोर्स की बैठक में दिए गए निर्देश का अनुपालन प्रखंड टास्क फोर्स की टीम द्वारा नहीं किया जा रहा है।हालांकि बीडीओ सह सीओ सन्नी कुमार दास के द्वारा हाल के दिनों में छापेमारी की गई थी। जिसपर दर्जनों बिना माइनिंग चालान और ओवरलोडे ट्रकों को जब्त किया गया था। बहरहाल प्रशासन जहां डाल डाल चल रही है, वहीं पत्थर माफिया पात-पात चल रहा है। हाल के दिनों में अगर कोटालपोखर की क्राइम रिकॉर्ड खंगाले तो कई सनसनीखेज मामले सामने आए है। परन्तु आश्चर्य की बात है या तो पुलिस शिथिल है या यूं कहे कि पत्थर माफिया के सामने कोटालपोखर पुलिस नतमस्तक हो चुकी है। हाल के दिनों में कई कांड दर्ज किए गए है। लेकिन एक भी मामले को लेकर आरोपियों को जेल के सलाखों में नहीं डाला गया है। जिस कारण पत्थर माफियाओं के हौंसले दिन प्रतिदिन बुलंद हो चुके है। माफिया यह समझ गया है कि रुपए बोलता है। हम कुछ भी कर लेंगे, लेकिन हमारा कुछ भी कोई बिगाड़ नहीं सकता। बीते दिनों कोटालपोखर थाना क्षेत्र के मयूरकोला आईटीआई कॉलेज के समीप कोटालपोखर थाना प्रभारी ओम प्रकाश चौहान जब गुप्त सुचना पर बिना माइनिंग चालान के वाहनों को पकड़ने गए, तो पत्थर माफिया और उनके गुर्गो द्वारा पथराव कर दिया गया। जिस कारण पुलिस टीम बाल-बाल बच गई। इस संबंध में कोटालपोखर थाना में छह नामजद और दर्जनों अज्ञात लोगों पर विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। बताना लाजमी होगा कि साहेबगंज जिला के अंतिम छोर पर बसा कोटालपोखर पश्चिम बंगाल के सीमा पर है। जहां एक ओर फरक्का है, तो दूसरी ओर शमसेरगंज थाना क्षेत्र पड़ता है। कोटालपोखर के मयूरकोला, ढाटापाडा, चौड़ामोड़ आदि क्षेत्र में पत्थर खदान और क्रशर संचालित है और अधिकतर अवैध है। ना कोई सीटीओ और ना किसी प्रकार का वैध कागजात है। बीते 2016 से 2024 तक अगर बंद पड़े पत्थर खदान, क्रशर मशीन से निकाले गए स्टोन चिप्स और बोल्डर की मापी कराई जाए तो अरबों रुपए का घोटाला सामने आ सकता है। इनफोर्समेंट डिपार्टमेंट को कोटालपोखर थाना क्षेत्र के बंद पड़े पत्थर खदान की जांच करनी चाहिए। कितने एकड़ की जमीन कब तक लीज थी और कितने बोल्डर अबतक निकाले गए है।

वर्चस्व की लड़ाई में वैध कारोबारी को होता है नुकसान….

वर्तमान समय में कोटालपोखर थाना क्षेत्र में रहीम तांड, बिजयपुर, जीवनपुर और चौड़ामोड़ में जिला प्रसाशन द्वारा चेकनाका स्थापित किए गए थे। ताकि एक भी वाहन अवैध स्टोन चिप्स लेकर ना जाय। वहीं सरकार को वैध रूप से रॉयल्टी देकर ही जाय। परन्तु जिला प्रशासन द्वारा जिस उद्देश्य से चेकनाका स्थापित किया गया, वो विफल साबित हो रहा हैं। प्रतिदिन डेढ़ से दो सौ ट्रक स्टोन चिप्स लेकर पश्चिम बंगाल के फरक्का भेजा जाता है। लेकिन चेकनाका से पार मात्र तीस से चालीस ट्रक ही दिखाया जाता है और यह सब रुपयों का खेल चेकनाका कर्मी के मिलीभगत से होता है। इस खेल का सभी लेन देन ड्यूटी के बाद अहले सुबह होता है।

अधिकारियो की आने की सुचना हो जाती है लीक….

जब भी जिला टास्क फोर्स की टीम या एसडीओ, सीओ या एसडीपीओ कोटालपोखर थाना क्षेत्र का निरीक्षण के लिए निकलते है, तो सुचना लीक हो जाती है। यह सोचनीय विषय है। आखिर कौन लोग है जो अधिकारियों का रेकी करता है। सूत्र बताते है कि सभी अधिकारीयों के आवास और कार्यालय के आसपास अनजान चेहरे घूमते है। जैसे ही अधिकारीयों का वाहन निकलता है, सुचना दे दी जाती है। साहब की गाड़ी फलाना रूट निकल चूका है, अलर्ट हो जाए। इसी तरह गुमानी ब्रिज, पलाशबोना, मयूरकोला, शांति मोड़ कोटालपोखर, चौड़ामोड़ में बैठे लोगों को दे दी जाती है। अधिकारीयों को अपने साथ चल रहे कर्मियों को भी निकलने से पहले मोबाईल को जब्त करने की जरूरत है। क्यूंकि अधिकारीयों के चालकों को भी पत्थर माफिया कन्टेक्ट करते है। बहरहाल अब देखना होगा जिला और प्रखंड प्रशासन के अधिकारी माफियाओं पर कार्रवाई करेंगे या पत्थर माफियाओं के शिकार होते रहेंगे।

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