अमड़ापाड़ा। प्रदूषण रहित पेय जल की उपलब्धता मानव जाति के लिए चुनौती है। जल प्रबंधन से जुड़े पहलू जल संचयन, जल भंडारण अथवा भूमिगत जल स्तर को मेंटेन रखने के लिए तमाम सरकारी प्रयास हो रहे हैं। जल प्रबंधन से संबद्ध कई स्पेसल योजनाएं संचालित हैं। नदी-नालों, कूप-तालाबों को स्वक्ष रखने उनके संरक्षण और संवर्धन पर भी सरकार गंभीर है। बावजूद इसके लोग रोज जल की किल्लत से जूझ रहे हैं। यदि जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड क्षेत्र के जनजातीय बहुल आबादी वाले गांवों की बात करें तो वर्तमान में ऐसा कोई गामव-कसबा नहीं है जहां जल की कमोबेस समस्या न हो। यहां के 121 गांवों में जल की उपलब्धता या जलस्रोतों पर एक नजर डाली जाय तो यह प्रतीत होता है कि लोगों के बीच शुद्ध पेयजल की किल्लत अमूमन बनी रहती है। ऐसे में करोड़ों की लागत राशि से बनी ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना हो या सोलर चालित जल मीनार । चापानल हों या जल कूप। तालाब हों या डोभा। हर घर जल पहुंचाने की जल-नल योजना हो या जलापूर्ति के अन्य विकल्प। सभी जनता को वांछित लाभ देने में असमर्थ हैं। अगर इनकी वजहों की पड़ताल की जाय तो कहीं सिस्टम की लापरवाही है तो कहीं एजेंसी या विभाग की। कहीं जनता की लापरवाही है तो कहीं विभाग की। ऐसी परिस्थिति में प्रखंड क्षेत्र में पानी के लिए कहीं सड़क पर प्रदर्शन होता है तो कहीं जनता वोट तक का बहिष्कार कर देती है। आश्चर्य है कि आजादी के 76 वर्षों बाद भी यदि पब्लिक को शुद्ध पेयजल नशीब नहीं हो पा रही है तो मौजूदा सरकार के विकास के ढोल खोखले ही लगते हैं। जब आदिवासी अब भी झरना और चूआं या नाले का पानी ही पीएं तो समेकित आदिवादी विकास अभिकरण क्या कर रही है विचार करें!
झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा केप्रदेश संयोजक और 20 सूत्री प्रखंड अध्यक्ष ने जताया खेद : संयोजक रामजी भगत और अध्यक्ष मनू हेम्ब्रम ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अमड़ापाड़ा स्थित पीएचईडी का अवर प्रमंडलीय कार्यालय हमेशा बंद रहता है। यहां अधिकारी को नियमित बैठना है किंतु, कभी नहीं बैठते। उन्हें यहां की जन समस्याओं से कोई लेना -देना नहीं। विभागीय एसडीओ अथवा जेई नदारद रहते हैं और कार्यालय में ताला बंद रहता है। बताया कि प्रखंड में बन रहे या बन चुके करोड़ों की पेयजलापूर्ति योजना से संबंधित सभी स्कीमों में गुणवत्ता की भारी कमी है। संवेदक मनमाने ढंग से कार्य कर रहे हैं। इससे जनता का कोई भला नहीं होने वाला है। बीस सूत्री अध्यक्ष ने कहा कि पेयजल संपूर्ण प्रखंड की समस्या है। इस समस्या के निदानार्थ जो कार्य संचालित हैं उनमें संवेदकों या एजेंसियों को पारदर्शिता और ईमानदारी बरतनी चाहिए। वहीं आंदोलनकारी श्री भगत ने कहा कि व्यवस्था में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ तो हमलोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।