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Maqsood Alam
(News Head)

इंजीनियर ने खोल दी ठेकेदार की पोल, तो उलझ गए पेटी कंट्रैक्टर

इंजीनियर ने दी नसीहत, बालू के बदले डस्ट का इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं,एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के जांच के बाद ही आगे बढ़ेगा काम

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। सदर प्रखंड अंतर्गत रामचंद्रपुर से बंगाल सीमा तक गार्डवाल सह पीसीसी सड़क निर्माण योजना का जूनियर इंजीनियर राकेश कुमार ने शुक्रवार को निरीक्षण किया। ग्रामीणों की शिकायतों पर इंजीनियर कार्यस्थल पर पहुंचे और गार्डवाल निर्माण कार्य का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान गार्डवाल की जोड़ाई तो तोड़कर भी देखा गया। निरीक्षण में ग्रामीणों की शिकायतों को सही पाया। इंजीनियर ने जैसे ही गार्डवाल की जोड़ाई को तोड़वाया, ठेकेदार की पोल खुल गई। दो-तीन जगह पर अंदर से स्टोन डस्ट निकल आया। पहले और दूसरे लेयर में तीन जगहों पर कुछ हिस्सें को तोड़ने पर स्टोन डस्ट साफ-साफ दिखने लगा। इस दौरान मौजूद एक शख्स इंजीनियर से उलझ गए। इंजीनियर से उलझने वाले शख्स पेटी कंट्रैक्टर बताया गया। इंजीनियर ने बालू के बदले स्टोन डस्ट के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई, तो पेटी कंट्रैक्टर इंजीनियर राकेश कुमार से ही उलझ गए। इंजीनियर राकेश कुमार के बार-बार यह कहने पर कि डस्ट का इस्तेमाल कैसे और क्यों किया गया। इस पर पेटी कंट्रैक्टर मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। इंजीनियर से बहसबाजी करने लगे। इसके बाद जूनियर इंजीनियर राकेश कुमार ने साफ शब्दों में काम बंद रखने को कहा। उन्होंने कहा कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के जांच के बाद ही काम होगा, तब तक काम बंद रहेगा। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को रिपोर्ट देंगे और उनके आदेश के बाद ही आगे काम होगा। उन्होंने एक और जगह पर खेत के बीच हो रहे गार्डवाल निर्माण का भी निरीक्षण किया। यहां आठ इंच पीसीसी ढलाई करना था। लेकिन बिना पीसीसी ढलाई के बोल्डर जोड़ाई किया जा रहा था। इस पर इंजिनियर ने पेटी कंट्रैक्टर को पहले आठ इंच पीसीसी ढलाई के बाद ही जोड़ाई करने का सख्त निर्देश दिया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पीसीसी ढलाई जब हो जाएं तो इसकी जानकारी जरुर दें। ढलाई देखेंगे, तभी काम आगे बढ़ेगा। इंजीनियर राकेश कुमार के सख्त निर्देश के बाद बिछाए गए बोल्डर को हटाया जाने लगा। उल्लेखनीय है कि आरईओ से रामचंद्रपुर गांव से बंगाल सीमा तक गार्डवाल सह पीसीसी सड़क निर्माण का काम किया जाना है। जिसकी लागत लगभग ढाई करोड़ रुपए बताए जा रहे हैं। इसमें कई जगह गार्डवाल और कलवट का निर्माण भी होना है। अभी गार्डवाल निर्माण का काम किया जा रहा है और शुरुआत में ही प्राक्कलन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिसका ग्रामीण शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। वहीं जूनियर इंजीनियर राकेश कुमार ने कहा कि गार्डवाल में स्टोन डस्ट का इस्तेमाल हुआ है। जबकि प्राक्कलन के मुताबिक बालू का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसकी रिपोर्ट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को देंगे। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के दिशा निर्देश पर ही आगे काम होगा। निर्माण कार्य में इस तरह की गड़बड़ी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिस जिस जगह पर स्टोन डस्ट का इस्तेमाल हुआ है, वहां तोड़कर दोबारा काम करना पड़ेगा।

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